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10 साल से अधिक सजा काट चुके 8 कैदियों को मिले नवीन कुटीर

locationइंदौरPublished: Sep 09, 2018 09:44:35 pm

Submitted by:

Krishnapal Chauhan

विधायक ने किया खुली जेल का लोकार्पण, प्रत्येक कुटीर के आगे विभाग ने कैदी के नाम की प्लेट लगाई, इस मौके पर आए कैदियों के परिवार ने खुशी जाहिर की
 

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10 साल से अधिक सजा काट चुके 8 कैदियों को मिले नवीन कुटीर

जिला जेल परिसर में रविवार को खुली जेल का लोकार्पण विधायक के हाथों हुआ। खुली जेल में नौ नई कुटीर बनी है। जिसमें उन बंदियों को परिवार सहित रहने का मौका मिलेगा। जिन्हें हत्या जैसे मामलों में आजीवन कारवास की सजा हुई है। सजा के दौरान जिन बंदियों का जेल में अच्छा आचरण रहा उन्हें कुटीर आवंटित किए गए है। यहां रहने वाले बंदी न सिर्फ अपने परिवार के साथ रह सकेंगे बल्कि जेल परिसर के बाहर जाकर खुद का व्यापार या नौकरी कर सकेंगे। ताकि वे सजा पूर्ण होने तक समाज की मुख्य धारा से जुड़ सके।
जिला जेल परिसर में रविवार को देवी अहिल्याबाई खुली कॉलोनी (खुली जेल) का लोकार्पण विधायक महेंद्र हार्डिया ने किया। परिसर में बंदियों के लिए १० कुटीर बनी है। जिसमें कैदियों के रहने के लिए कमरे, किचन व अन्य सुविधाएं मौजूद है। प्रबंधन ने हत्या के जुर्म में सजा काट रहे कैदी दूले पिता मदन सिंह, भगवान पिता हीरालाल, संतोष पिता मांगीलाल, मो सोहेल पिता शहजाद, भंवर पिता मदन सिंह, विनोद पिता मुन्नालाल, भूपेंद्र पिता शिवसिंह व प्रताप पिता मदन सिंह के नाम पर कुटीर आवंटित की है। इन सभी बंदियों के नाम की प्लेट भी कुटीर के बाहर लगी है। लोकार्पण कार्यक्रम में बंदियों के परिवार के अलावा जिला न्यायाधिश राजीव श्रीवास्तव भी जेल पहुंचे। उन्होंने परिसर में बंदियों के लिए बनाए गए नए भवन देख प्रशंसा जाहिर की। वहीं जेल अधीक्षक अदिति चतुर्वेदी ने बताया की यहां पर १० कुटीर बनी है। खुली जेल का कंसेप्ट काफी पुराना है। यह योजना अहमदाबाद में सबसे पहले शुरू हुई यहां २५ बंदी आज भी जीवन यापन कर रहे है। इसी तरह सतना में दो माह पूर्व खुली जेल शुरू हो चुकी है। सागर के साथ इंदौर में खुली जेल का लोकार्पण ३ सितंबर को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भोपाल में किया है। खुली जेल में उन बंदियों को लिया जाता है जिनका सजा काटने के दौरान आचरण ठीक रहा। वर्तमान में जिनकी सजा २ वर्ष या उससे कम रह गई है। एेसे बंदी अपने परिवार के साथ यहां रहकर जीवन यापन कर सकते है।
जेल में रहकर आईटीआई किया, अब पीएचई विभाग में नौकरी करने की इच्छा
बंदी भगवान पिता हीरालाल डोंड निवासी धार ने बताया की हत्या के जुर्म में वे जेल में बंद है। जेल में रहकर उन्होंने वायरमैन ट्रेड से आईटीआई किया। जमानत में रहने के बाद उन्होंने अस्थाई रूप से पीएचई विभाग में नौकरी की। अब तक वे १२ वर्ष १० माह की सजा काट चुके है। उन्होंने परिवार के साथ खुली जेल स्थित कुटीर में रहने पर प्रशंसा जाहिर की। वहीं उनकी पत्नी ने बताया की पति के जेल जाने के बाद दोनों बच्चों की पढ़ाई में काफी दिक्कते आई। पति के साथ इतने साल बाद रहने का मौका मिला है। इससे परिवार में खुशी का माहौल है।
एेसा लग रहा है मानो रिहाई हो गई

पारिवारिक विवाद में हत्या कर देने के बाद से ही जेल में सजा काट रहे भूपेंद्र पिता शिंव सिंह ने बताया की वे मूलत: भिंड के रहने वाले है। परिवार में पत्नी सीमा और दो बेटे सहर्ष और सार्थक। सहर्ष १० वीं और सार्थक १२वीं पढ़ रहा है। उनकी शाजापुर में खेती और मकान है। हत्या के मामले में सात माह सात दिन सेशन कोर्ट में ट्रायल चलने के बाद उन्हें सजा सुनाई गई। फिर २००६ में हाईक ोर्ट से उन्हें सजा मिली। इसके बाद वे शाजापुर जेल, इंदौर सेंट्रल जेल व उज्जैन में सजा काट चुके है। लंबे समय बाद परिवार के साथ रहने का मौका मिल रहा है। एेसा लग रहा है मानो रिहाई हो गई। खुली जेल में रहकर चाय,पोहे और जलेबी का होटल खोलने का मन है। भूपेंद्र ने बताया की उन्होंने जो किया इसका उन्हें पछतावा है। सजा पूरी हो जाने के बाद वे अच्छे नागरिक की तरह जीना चाहते है।
हत्या के जुर्म में सजा काट रहे तीन भाई को मिली कुटिया
भंवर पिता मदन सिंह निवासी उज्जैन ने बताया की वे हत्या के जुर्म में १२ साल की सजा काट चुके है। पारिवारिक रंजिश में उनके साथ भाई दुलेसिंह और प्रतापसिंह को भी हत्या के मामले में सजा हुई। उनके साथ जेल में बंद दोनों भाई भी खुली जेल स्थित कुटीर में परिवार के साथ रहेंगे। वे जल्द यहां अपने परिवार को लेकर आएेंगे।
जेल में रहकर साउंड सिस्टम ऑपरेट करना सिखा

कैदी विनोद पिता मुन्नालाल भलावी निवासी भोपाल ने बताया की उन्हें हत्या के मामले में २००६ में सजा हुई। उन्होंने रंजिश में एक युवक की हत्या की थी। परिवार में माता-पिता और भाई है। दो बेटियां है जो स्कूल में पढ़ती है। जेल में रहकर साउंड सिस्टम ऑपरेट करना सिखा है। जल्द ही इस संबंध में कोई नौकरी ढुंढने के बाद कुटिर में पत्नी व बच्चों के साथ रहुंगा। वहीं मो सोहेल पिता शहजाद निवासी भोपाल ने बताया की उन्हें वर्ष २००६ में हत्या के मामले में सजा हुई। जेल में रहकर उन्होंने फर्नीचर का काम सीखा। खुली जेल में उन्हें रहने के लिए कुटीर मिली है। परिवार में मां-पिता और भाई है। शादी नहीं हुई है। यहां रहकर रोजगार ढुंढकर परिजनों की सेवा करेंगे।
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