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VIDEO : अपहरणकर्ताओं से बचकर आया अक्षत, देखते ही दौड़ पड़ी मां

locationइंदौरPublished: Feb 12, 2019 11:06:19 am

Submitted by:

Lakhan Sharma

– सुबह 6 बजे सागर से इंदौर पहुंची पुलिस की टीम- प्राईमसिटी में मना जश्न- शुरू हुआ मान-मन्नतें पूरी करने का दौर
 

kidnapping akshat

अपहरणकर्ताओं से बचकर आया अक्षत, देखते ही दौड़ पड़ी मां

लखन शर्मा, इंदौर. दो दिन पहले रविवार दोपहर प्राईमसिटी कॉलोनी से अगवा हुआ ६ वर्षीय अक्षत जैन 39 घंटे बाद आज सुबह ६ बजे सकुशल अपने घर पहुंचा। तुकोगंज थाना प्रभारी तहजीब काजी उसे सागर से लेकर इंदौर पहुंचे और परिजनों को सौंपा। रविवार की पूरी रात परिजन उसके अगवा होने के गम में नहीं सो पाए तो सोमवार की रात उसके इंतजार में किसी को नींद नहीं आई। सुबह जैसे ही पुलिस उसे लेकर घर पहुंची तो उसकी मां शिल्पा, पिता रोहित जैन सहित सभी परिजन फूट-फूटकर रोए और सभी की आंखो में खुशी के आंसू छलक आए। उधर अक्षत पहले की तरह खुश दिखाई दिया और मां, पिता, दादी, दादा को दुलराता रहा। यह दृश्य यहां मौजुद जितने लोगों ने देखा सभी की आंखें नम हो गईं। उसके घर पहुंचने की जानकारी आग की तरह प्राईमसिटी कॉलोनी में फैली और कोई मिठाई लेकर तो कोई आरती की थाली लेकर जैन परिवार के घर पहुंचा।
हर शख्स का शुक्रिया

अक्षत के पिता रोहित से इस संबंध में बात की तो वे बोले कि अक्षत का अपहरण होने के बाद जब फोन आया तो हम पूरे टूट से गए थे। लेकिन पुलिस अधिकारियों, मीडिया के लोगों, रिश्तेदारों और कॉलोनी के रहवासियों ने हमारा हौंसला बढ़ाया। मैं सभी का धन्यवाद देना चाहता हूं। अक्षत के लिए हर किसी ने मान-मन्नतें की थीं। उसके घर आते ही सुबह से सभी उन्हें पूरी करने में लग गए हेैं। इसके लिए मैं भगवान का शुक्रिया अदा भी करता हूं कि मेरे बेटे को खरोंच तक नहीं लगी और वह जैसा गया था वैसा मेरे पास आ गया है। मुझे पुलिस पर पूरा विश्वास था, इसलिए सबसे पहले पुलिस की मदद ली।
5 हिरासत में चार की और तलाश

थाना प्रभारी राजीव सिंह भदौरिया ने बताया की इस मामले में ५ संदिग्ध हिरासत में हैं। इसमें संतोष विश्वकर्मा मुख्य है। इसके अलावा जिन दो लोगों ने अक्षत को अगवा किया और जिन्होंने सागर में इनकी मदद की उनकी तलाश जारी है। हम एक-दो दिन में सभी को पकड़ लेंगे। पुलिस ने अब तक किसी को गिरफ्तार नहीं किया है। पुलिस सभी आरोपितों का आमना-सामना करा लिंक जोड़ेगी ताकि प्रकरण मजबूत हो सके और आरोपितों को कोर्ट से सजा मिले। भदौरिया का कहना हे कि शाम तक सभी आरोपितों से पूछताछ के बाद कई संदेहों से पर्दा उठ जाएगा और मुख्य आरोपित सामने आ जाएंगे।
बस में बैठाकर ले गए सागर

अक्षत को लेने तुकोगंज थाना प्रभारी तहजीब काजी के साथ पुलिस दल रवाना किया गया। काजी को जानकारी मिली थी की अक्षत को अपहरणकर्ता बस में बैठाकर सागर ले गए। यहां से उसे बाईक से ललितपुर ले जाने की तैयारी में थे। इसी बीच उन्हें पता लगा कि उनके सभी साथी पकड़ा गए हैं और पुलिस को इन दोनों का नाम भी पता चल गया है। तो इन्होंने सोचा की अक्षत को कुछ हो गया तो मामला और बड़ा हो जाएगा, इसलिए खुद ही उसे उत्तर प्रदेश की सीमा से लगे ललितपुर के समीप मालथौन के पास बरोदिया चौकी के बाहर छोड़कर भाग गए।
इन अधिकारियों की रही अहम भूमिका

इस केस को सुलझाने में सबसे अहम भूमिका डीआईजी हरिनारायाण चारी मिश्र की रही। क्योंकि आज नई एसएसपी रूचि वर्धन मिश्र पदभार लेंगी और चारी रिलीव होंगे। वे चाहते थे कि इसके पूर्व इस केस का रिजल्ट निकले। लक्ष्य रखा गया था बच्चे को सकुशल वापस लाना, जिसमें सफल हुए। टीम में एसपी युसुफ कुरैशी, अवधेश गोस्वामी के साथ ही एएसपी क्राईम अमरेंद्र सिंह ने अहम भूमिका निभाते हुए एक्शन प्लान तैयार किया। हीरानगर थाना प्रभारी राजीव सिंह भदौरिया और तुकोगंज थाना प्रभारी तहजीब काजी भी रविवार रातभर नहीं सोए और कई बिंदुओं पर जांच कर आगे बढ़े। एएसपी प्रशांत चौबे ने एक टीम की कमान संभाली और दिशा-निर्देश देते रहे। चौराहे-चौराहे लगे कैमरों से पुलिस को लीड मिलती रही।
नीले कलर की गाड़ी के हर मालिक तक पहुंची पुलिस

रविवार को दोपहर करीब ३ बजे अक्षत का जिस नीली बाइक से अपहरण हुआ था। इस तरह की नीली बाइक शहर में जितने लोगों के पास थी, पुलिस सभी तक पहुंची। रविवार रात को गाड़ी की कंपनी, एजेंसियों सहित डीलरों से पुलिस ने नीली गाडिय़ों की जानकारी मांगी और हर किसी तक पहुंच गई। उन्हे तब तक नहीं छोड़ा जब तक पुलिस संतुष्ट नहीं हो गई। किसी को थाने लाकर पूछताछ की तो किसी से उसके घर पर। इसमें कई छात्र भी घिराए जो बाहर से पढऩे इंदौर आए हैं जिनकी पास इसी कंपनी की नीले कलर की इस माडल की गाड़ी है।
बच्चे की सुरक्षा को दी प्राथमिकता

हमने इस केस को सुलझाने की जो योजना बनाई उसमें बच्चे की सुरक्षा को प्राथमिकता दी गई। सभी अधिकारियों और स्टॉफ को निर्देश दिए गए कि किसी भी स्थिति में बच्चे को हानि नहीं पहुंचना चाहिए। इसमें सफल भी हुए, पूरी टीम ने बेहतर काम किया।
हरिनारायण चारी मिश्र, डीआईजी

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