scriptशादी से पहले लड़कियों में मिर्गी की बीमारी छिपा रहे परिजन | Kin to hide epilepsy disease before marriage | Patrika News

शादी से पहले लड़कियों में मिर्गी की बीमारी छिपा रहे परिजन

locationइंदौरPublished: Mar 01, 2019 11:56:40 am

Submitted by:

Lakhan Sharma

– जागरुकता के अभाव में लड़की की शादी में आती है दिक्कत
 

इंदौर. मिर्गी एक ऐसी बीमारी है, जो अगर लड़की को हो तो कोई उसे बहू बनाना नहीं चाहता। लेकिन अगर लड़के को हो तो उसके लिए अच्छी बहु की तलाश की जाती है। यह गलत परंपरा हमारे देश में चल रही है, जिसके कारण परिजन शादी के पहले लड़कियों केा मिर्गी की बीमारी है यह बात छिपा लेते हैं। लेकिन बाद में जब ससुराल पक्ष को यह पता चलता है तो तलाक तक की नौबत आ जाती है। जबकि यह एक एसी बीमारी है जिसका इलाज संभव है और आसानी से इसे ठीक किया जा सकता है। बस जरूरत है समय पर डॉक्टर तक पहुंचकर इसका इलाज करवाने की। यह कहना है शहर के न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. अपूर्व पौराणिक का। मिर्गी को लेकर आयोजित जागरूकता कार्यक्रम में उन्होंने यह जानकारी दी।

डॉ. पौराणिक ने यह भी बताया की मिर्गी एक दिमागी बीमारी है, जिसकी पहचान मरीज को बार-बार दौरे पड़ऩे से होती है। इसमें थोड़े समय के लिए मरीज का अपने शरीर पर कोई नियंत्रण नहीं रहता। इसमें आंशिक रूप से शरीर का कोई भाग या सामान्य रूप से पूरा शरीर शामिल हो सकता है। मिर्गी के दौरों में कई बार मरीज बेहोश हो जाता है और कभी-कभी आंतों या मूत्राशय की कार्यप्रणाली पर उसका कोई नियंत्रण नहीं रहता। मिर्गी के दौरे दिमाग में अधिक मात्रा में विद्युतीय तरंगों के प्रवाह का नतीजा है। इससे थोड़ी देर तक मरीज की चेतना लुप्त हो सकती है या मांसपेशियों में ऐंठन महसूस हो सकती है। डॉ. पौराणिक का कहना है की दो या पांच साल तक नियमित दवाई लेने से यह बीमारी पुरी तरह ठीक हो जाती है। भारत में 12 मिलियन लोग मिर्गी से जूझ रहे हैं। दिमाग की गड़बड़ी की यह पुरानी गैर संक्रामक बीमारी सभी उम्र के मरीजों को प्रभावित करती है। यह बीमारी शहरी आबादी (0.6 फीसदी) की अपेक्षा गांवों (1.9 फीसदी) में ज्यादा फैली है। पीडियाट्रिक न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. रचना दुबे गुप्ता ने बच्चों में मिर्गी के दौरे के बारे में जानकारी देते हुए बताया की कई लोग लक्षण पहचान ही नहीं पाते। जबकि हर 50 में से एक बच्चे को दौरे आते हैं। हालांकि हर दौरा मिर्गी का दौरा नहीं होता लेकिन इसकी जांच सही समय पर हो जाए तो इससे निजात मिल सकता है। एबॅट के एसोसिएट मेडिकल डायरेक्टर डॉ. जे. करणकुमार ने बताया की शोधकर्ताओं द्वारा किए गए अध्ययन में आमतौर पर यह सहमति देखने को मिली की महिलाओं में मिर्गी का रोग मामूली रूप से कम पाया जाता है। महिलाओं को पुरुषों की तुलना में मिर्गी के दौरे भी कम देखने को मिलते हैं।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो