रेलवे स्टेशन पर पार्किंग विस्तार का खमियाजा परिंदों को भुगतना पड़ा। विकास के नाम पर फिर चार पेड़ काट दिए गए। ये पेड़ थे, जिन पर सैकड़ों परिंदों का बसेरा था। सुबह उन पर चहचहाहट गूंज रही थी। दोपहर में पेड़ पर आरी चली और सबकुछ तबाह हो गया। शाम को जब परिंदे लौटे तो उन्हें कहीं अपना आशियाना नजर ही नहीं आया। वे देर तक आसमान के चक्कर काटते रहे। बाद में रेलवे स्टेशन के ऊपर झूलते तारों पर बैठकर देर तक उसी तरफ देखते रहे। उस वक्त पक्षियों ने क्या महसूस किया होगा।
पर्यावरण प्रेमी जफर शेख बताते हैं, मैं 30 वर्षों से महारानी रोड पर निवासरत हूं। मेरे घर के ठीक सामने स्टेशन पार्किंग में खड़े नीलगिरी (यूकेलिप्टस) के इन चार पेड़ों को शुरू से ही देख रहा हूं। सुबह सैकड़ों की तादाद में तोते, कबूतर सहित अन्य पक्षी उड़ान भरते थे और शाम होते ही चहचहाते हुए वापस इन पर आकर बैठ जाते थे। गुरुवार को जैसे ही पेड़ों को कटता देखा मैं छटपटाकर घर से बाहर निकलकर स्टेशन पहुंच गया, लेकिन जब तक मैं पहुंचा देर हो चुकी थी। रेलवे प्रबंधन को कटाई रोकने की गुहार भी लगाई, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया।