6 विधानसभा की मतदाता सूची में सवा लाख से ज्यादा फर्जी नाम
नाम जुड़वाने का बड़ा खेलकर चुनाव जीतने की जुगत, चुनाव आयोग के नियमों की अवहेलना कर अधिकारी,

सुधीर पंडित
इंदौर. आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए राजनीतिक लोगों ने फर्जी मतदाता जुड़वाने के खेल शुरू कर दिया है। शहर की ५ और राऊ विधानसभा में लगभग सवा लाख फर्जी मतदाताओं के नाम जोड़े गए हैं। इसमें निर्वाचन आयोग के नियमों की अवहेलना कर अधिकारियों से सांठगांठ कर बाले-बाले ही नाम जोड़े गए हैं।
निर्वाचन आयोग के स्पष्ट निर्देश हैं कि जो भी नाम मतदाता सूची में जोड़ा जाए उस पर बीएलओ की टीप, सुपरवाईजर के हस्ताक्षर , रजिस्ट्रीकरण या सहायक रजिस्ट्रीकरण के सील व हस्ताक्षर होना अनिवार्य है। लेकिन जो भी नाम जोड़े जा रहे हैं उसमें अधिकतर नाम के फार्म पर आयोग द्वारा निर्देशित प्रक्रिया अपनाई ही नहीं जा रही है। नाम न छापने की शर्त पर एक बीएलओ ने बताया हमने जो फार्म जमा किए हैं उससे अधिक नाम जुड़ जाते हैं। हमें ही नामों की जानकारी नहीं होती। कई फार्म में तो दस्तावेज भी नहीं लगाए गए हैं। कई लोगों के अगर फार्म की जांच की जाए तो सच्चाई उजागर होगी। हजारों की संख्या में विधानसभाओं में फर्जी नाम जोड़े गए हैं। राजनेता निर्वाचन विभाग के अधिकारियों से सांठगांठ कर मतदाता सूची में फर्जी नाम जुड़वा रहे हैं। गौरतलब है मुख्य निर्वाचन अधिकारी ओपी रावत ने अपने इंदौर प्रवास के दौरान कहा था कि प्रदेश में ७ लाख नाम डी-डुप्लीकेसी होने की जानकारी मिली है। उन्हें एक साफ्टवेयर से हटाया जाएगा।
एक नाम जोडऩे के ५०० रुपए
निर्वाचन सूची में मतदाता के रूप में नाम जोडऩे के लिए एक रैकेट काम कर रहा है। सूत्रों के मुताबिक रैकेट इसके लिए प्रति मतदाता ३०० से ५०० रुपए ले रहा है। निर्वाचन के अधिकारियों और एमपीएसईडीसी के अधिकारियों से मिलकर पूरे खेल को अंजाम दिया जाता है। चुनाव में लाभ उठाने वाले अपने हिसाब से विधानसभा या वार्ड में नाम जुड़वा रहे हैं।
हर विधानसभा में जुड़े हजारों नाम
विधानसभा लगभग संख्या
एक - १४ से २० हजार
दो -२२ से २५ हजार
तीन - ५ से ७ हजार
चार- २२ से २४ हजार
पांच - १२ से १५ हजार
राऊ -१७ से २१ हजार
कई लोग कर चुके शिकायत
राऊ के विधायक जीतू पटवारी ने राऊ में ५ हजार से अधिक नाम फर्जी रूप से जुड़वाने की शिकायत निर्वाचन आयोग को की है। वहीं पहले भी सोहराब पटेल, संजय शुक्ला समेत कई लोग फर्जी मतदाताओं के नाम मतदाता सूची में जोड़े जाने की शिकायत भी कर चुके हैं।
अप्रैल २०१५ में १८ कर्मचारी पकड़ाए
पुलिस और प्रशासन की संयुक्त टीम ने अप्रैल २१०५ में प्रशासनिक संकुल में छापा मारकर १८ कर्मचारियों को गिरफ्तार किया था। पाकिस्तानी और बंगलादेशी के मतदाता परिचय पत्र बनाए जा रहे हैं। इनके कब्जे से फर्जी मतदाता परिचय पत्र समेत अन्य दस्तावेज भी जब्त किए गए थे। एक से डेढ़ हजार रुपए लेकर रैकेट यह कार्य कर रहा था। पुलिस ने ६ कम्प्युटर जब्त कर कमरा भी सील कर दिया था। मामले की जांच में बड़े अधिकारियों पर अंगुली उठी थी।
३० हजार नाम मिले
डुप्लीकेसी के ३० हजार नाम सामने आए हैं, जिनकी जांच की जा रही है। फर्जी मतदाताओं को लेकर कुछ शिकायतें आईं हैं। वैसे इनको फर्जी नहीं बोला जा सकता है। अगर बिना दस्तावेज और आयोग के निर्देश का पालन किए बगैर अगर कोई नाम जोड़ा गया है तो उसकी जांच करेंगे।
जमील खान , उप जिला निर्वाचन अधिकारी
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