एमवायएच में वैसे तो मरीजों की परेशानियां खत्म होने का नाम नहीं ले रही हैं। बदहाल व्यवस्था हॉस्पिटल की पहचान बनने लगी है। गर्मियों के दिनों में अस्पताल की व्यवस्थाएं और बदहाल हो जाती हैं। कई बार हालात ये बन जाते हैं कि मरीजों को खुद ही अपने घरों से पंखे लेकर आना पड़ जाता है। आइसीयू में भर्ती मरीजों के ऐसे हालात होते है। इससे सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि जनरल वार्डों की हालात कैसी होगी।
दानदाताओं ने उपलब्ध कराए हैं एसी-हॉस्पिटल में दान देने वालों की शहर में कमी नहीं है। मरीजों के लिए दानदाता हमेशा ही आगे आते हैं। जानकारों का कहना है कि कुछ समय पूर्व ही संस्थाओं और समाजसेवियों ने दान के रूप में हॉस्पिटल प्रबंधन को एसी उपलब्ध कराए हैं। करीब 15 एसी दान में मिल चुके हैं। जिन के भरोसे ही आइसीयू में मरीज हैं।
मरीजों को नसीब नहीं होते बेड पर चादर हॉस्पिटल प्रबंधन की लापरवाही का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि आपातकालीन स्थिति में आने वाले मरीजों को कुछ देर वार्ड में रखा जाता है। इस दौरान उन्हें बगैर चादर वाले बेड पर ही रहना पड़ता है। इस वार्ड में मौजूद बेड पर चादर तक नहीं बिछाए जाते हैं। जबकि एमवायएच प्रबंधन हॉस्पिटल के पास करीब 10 हजार से अधिक चादर होने का दावा करता है।