तेंदुए के भागने की कहानी वन विभाग की जुबानी
वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार आठ माह के तेंदुए को बुरहानपुर की नवादा रेंज से घायल अवस्था में रेस्क्यू किया गया। तेंदुए के दोनों पिछले पैरों में चोट होने से वह चल नहीं पा रहा है। उसे पिंजरे में रखकर गाड़ी से इंदौर चिडिय़ाघर लाया गया। गाड़ी प्लास्टिक से ढंकी थी। गाड़ी के साथ दो वनकर्मी और ड्राइवर थे और डिप्टी रेंजर मेंढे अपनी गाड़ी से चल रहे थे। ये गाड़ी देर रात इंदौर पहुंची, उस समय चिडिय़ाघर बंद होने और यहां पिंजरे खाली नहीं होने से चिडिय़ाघर को हस्तांतरित नहीं किया गया। वनकर्मी और गार्ड रात 9 बजे गाड़ी छोड़कर खाना खाने गए थे। गुरुवार सुबह जब चिडिय़ाघर प्रभारी डॉ. उत्तम यादव और अन्य लोग पहुंचे और प्लास्टिक को हटाया तो पिंजरे में तेंदुआ नहीं था। पिंजरे के दाहिनी तरफ ऊपर के लगभग आधा फीट के हिस्से की जाली टूटी थीं। इसके बाद उसकी तलाश शुरू की गई।
सीसीटीवी में दिखी परछाई, तीन घंटे घुमता रहा स्निफर डॉग
तेंदुए की तलाश के लिए चिडिय़ाघर में लगे सीसीटीवी कैमरों को खंगाला गया। बुधवार रात 9.51 पर बिल्ली जैसे छोटे जानवर की गाड़ी के पास से निकलने की हरकत दिखी। फुटेज स्पष्ट नहीं होने से पता नहीं चल सका कि वह तेंदुआ है या अन्य जानवर। कैंटीन के कैमरों में सुराग नहीं मिला। वन विभाग के अधिकारी फुटेज में नजर आए जानवर को तेंदुआ बताते रहे। स्निफर डॉग की मदद ली गई। डॉग चिडिय़ाघर में तीन घंटों तक अलग-अलग जगह भटकता रहा, लेकिन तेंदुआ नहीं मिला।
तेजाजीनगर पर रोकी थी गाड़ी
वनकर्मी सुरेश वानखेड़े का कहना है, पिंजरे वाली गाड़ी के पीछे डिप्टी रेंजर की गाड़ी चल रही थी। हम लोग तेजाजीनगर में कागजों की फोटोकॉपी कराने के लिए थोड़ी देर रुके थे। वहां से सीधे चिडिय़ाघर पहुंचे। सुबह पिंजरा टूटा मिला। टूटी जाली के पास तेंदुए के बाल भी लगे थे।
रातभर और शुक्रवार को भी चलेगा सर्च ऑपरेशन
वन विभाग के अफसरों ने तेंदुए की तलाश के लिए रात में भी सर्च ऑपरेशन चला। तेंदुआं नहीं मिलता है तो शुक्रवार को चिडिय़ाघर और आसपास के इलाके में जांच की जाएगी। वन विभाग के अधिकारियों ने चिडिय़ाघर के बीच से बहने वाले नाले के किनारे भी उसकी तलाश करने की बात कही है।
क्या कहते हैं अधिकारी
डीएफओ नरेंद्र पांडवा ने बताया कि जिस पिंजरे में तेंदुए को लाया गया, वह बेहद कमजोर था। इसमें तेंदुए को रखने का जोखिम बिलकुल नहीं उठाया जाना था। तेंदुए की तलाश जारी है। प्रभारी चिडिय़ाघर डॉ. उत्तम यादव कहते हैं कि रात को गाड़ी वन विभाग के कर्मचारियों के हवाले थी। सुबह पहुंचे तो खाली पिंजरा मिला। लगातार सर्च की जा रही है।
पहले पिंजरे से निकल गई थी बाघिन
इसके पहले 27 नवंबर 2016 को चिडिय़ाघर में बाघिन जमना अपने पिंजरे से निकलकर बाहर आ गई थी लेकिन उसने किसी को नुकसान नहीं पहुंचाया था। दो घंटे बाद ही जमना को पिंजरे में पहुंचा दिया गया था। इस घटना के बाद 12 दिसंबर 2016 को एक बार फिर वो अपने पिंजरे से बाहर निकल आई थी। हालांकि उस दिन छुट्टी होने से चिडिय़ाघर में कोई दर्शक नहीं था। उस समय भी चिडिय़ाघर प्रभारी ने एक डंडे की मदद से उसे वापस पिंजरे में बंद कर दिया था।