प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चाहते हैं कि साल 2019 तक कोई भी भारत का नागरिक खुले में शौच ना जाए। इस सपने को पूरा करने के लिए स्वच्छ भारत अभियान के तहत पीएम ने अक्टूबर 2014 में शौच मुक्त भारत कैम्पेन की शुरुआत की थी। कैम्पेन को शुरु हुए 16 महीने गुजर चुके हैं। ऐसे में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधियों के साथ केंद्र के अधिकारियों की 3 फरवरी को दिल्ली में रिव्यू बैठक है। हालांकि, इस अवधि के दौरान भारत में कुछ बदलाव भी आए हैं, लेकिन देश के ग्रामीण इलाकों में कुछ ज्यादा बदलाव देखने को नहीं मिला। देश में आए इस बदलाव में राजस्थान की अहम भूमिका रही है। आईए देखते हैं इन 16 महीनों कितना आया है बदलाव
अंग्रेजी वेबसाइट डेली मेल की एक रिपोर्ट के मुतािबक जब अक्टूबर 2014 में इसकी शुरुआत की गई थी तो भारत में ग्रामीण स्वच्छता का दायरा 42.05 फीसद था, जो कि 16 महीने में बढ़कर 49.29 फीसद हो गया। इसमें सबसे ज्यादा योगदान राजस्थान का रहा है। ग्रामीण स्वच्छता दायरे में जो 7.24 फीसद की बढ़ोतरी हुई है, उसमें राजस्थान(20.40 फीसद) का योगदान का सबसे ऊपर है। उसके बाद दूसरे नंबर पर मणिपुर(14.05 फीसद ) और फिर मेघालय (14.59फीसद ) का नंबर आता है। अंडमान-निकोबार द्वीप समूह, पुढ्ढुचेरी और केरल में इसमें कोई योगदान नहीं दिया है।
कई जगह पर तो टॉयलेट बनाए जरूर गए हैं, लेकिन उनका यूज नहीं किया जा रहा, उनका इस्तेमाल कचरा फेंकने के लिए भी कर रहे हैं। ऐसे में मोदी का सपना पूरा करने के लिए टॉयलेट बनाने के साथ लोगों को टॉयलेट यूज करने के लिए बढ़ावा भी देना पड़ेगा। उनकी सोच में भी बदलाव लाना पड़ेगा। गांव वालों का मानना है कि घुले में टॉयलेट जाना सही होता है। उन्हें बताना होगा कि खुले में शौच जाने पर रोक लगाने से कई बीमारियों और महिलाओं के खिलाफ अपराधों पर रोक लगाई जा सकेगी। भारत में अभी भी दस में से एक मौत सफाई न होने की वजह से होती है।
सिक्किम में 99.72 फीसद, केरल में 69.31 फीसद और हिमाचल प्रदेश में 94.43 फीसद ग्रामीण इलाकों में टॉयलेट हैं। यह बनाई गई सूची में सबसे ऊपर हैं। वहीं ओडिशा 21 फीसद, बिहार 23.62 फीसद और कश्मीर 31.60 फीसद के साथ सूची में सबसे नीचे है। भारत के 6,12,157 लाख गांवों में से केवल 39,309 गांवों को खुले में शौच मुक्त घोषित किया गया है। इसमें से हिमाचल प्रदेश के 9,684, बंगाल के 8,079, महाराष्ट्र के 5,322 के गांव शामिल हैं। ये तीनों राज्य ही क्रमश: इस सूची में टॉप पर काबिज हैं।