इंदौर

परिवर्तन का विरोध तो होता ही है, कंपनी को अनुभवी कर्मचारियों की जरूरत

विद्युत मंडल पेंशनर्स एसोसिएशन का सम्मान समारोह में बोले- ऊर्जा मंत्री

इंदौरJan 19, 2020 / 12:59 am

shatrughan gupta

परिवर्तन का विरोध तो होता ही है, कंपनी को अनुभवी कर्मचारियों की जरूरत

इंदौर. ऊर्जा का क्षेत्र बड़े बदलाव से गुजरा है। आपने बोर्ड में सेवाएं दी है और आज वितरण कंपनियां काम कर रही हैं। शीघ्र ही एक और बड़ा बदलाव होने जा रहा है। परिवर्तन का विरोध तो होता ही है। कंपनी को अनुभवी कर्मचारियों के मार्गदर्शन की जरूरत तो हमेशा ही रहेगी।
शनिवार को रवींद्र नाट्य गृह में विद्युत मंडल पेंशनर्स एसोसिएशन के सम्मान समारोह में ऊर्जा मंत्री प्रियव्रत सिंह ने उक्त बात कहीं। उन्होंने कहा, बोर्ड तो हमेशा से लाभ में रहा, लेकिन जब से कंपनी बनी, घाटे में ही हैं। हम सरकार के पीछे सब्सिडी के लिए लगे रहते हैं। हमें विचार करने की जरूरत है कि पुराने नियम फिर से लागू करें ताकि कंपनी को लाभ में लाया जा सके। उन्होंने एसोसिएशन की मांग पर विचार का आश्वासन देते हुए कहा, पेंशनर्स को एक ही बैंक से पेंशन मिले, इसके आदेश दिए जा रहे हैं। एसोसिएशन सचिव आरसी सोमानी ने बताया, २७ सदस्यों से शुरू हुई संस्था के अब ३३०० से अधिक सदस्य हैं। कई सामाजिक काम भी कर रहे हैं। समारोह में ७५ वर्ष की आयु पार कर चुके ८९ पूर्व कर्मचारियों के साथ ही उनके पोते-पोती व धर्मपत्नियों को भी सम्मानित किया। गिनीज वल्र्ड बुक ऑफ वल्र्ड रिकार्ड में नाम दर्ज करवाने वाली सुलभा देशपांडे, साधना उपाध्याय, आरएस गोयल, पीएल मकवाने, मंगला चौरे, कृष्णा जायसवाल सहित कुल ११४ लोगों का शाल-श्रीफल व स्मृति चिह्न देकर सम्मान किया। एसोसिएशन के अश्विनी पांडे ने ऊर्जा मंत्री के समक्ष पेंशनरों की दिक्कतों, २७ माह के बकाया एरियर, ५ प्रतिशत डीए, ३० जून को सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों को एक इंक्रीमेंट देने सहित अन्य मांगें रखी। आयोजन में कंपनी के एमडी विकास नरवाल, पूर्व विधायक सत्यनारायण पटेल, रघु परमार, अमन बजाज, बिजली उपभोक्ता फ ोरम के चेयरमैन वीके गोयल, सीजीएम संतोष टैगोर, अशोक शर्मा भी मौजूद थे।
जीवन प्रमाण पोर्टल का शुभारंभ
सम्मेलन में ऊर्जा मंत्री ने जीवन प्रमाणपत्र पोर्टल का शुभारंभ किया। अब पेंशनर थंब मशीन व आइरिस से अपने घर बैठे या एमपी ऑनलाइन से ही अपना प्रमाणपत्र दे सकेंगे। अब तक उन्हें पेंशन पाने के लिए जीवित प्रमाणपेश करने लेखाधिकारी व डिवीजन कार्यालय उपस्थित होना पड़ता था, जिससे बुजुर्ग व बीमार पेंशनरों का परेशानी होती थी।

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