यहां बेस प्राइज 10.24 करोड़ थी। करीब 10.69 करोड़ का ऑफर आया, जिसे मंजूर कर लिया। 64 में से 32 ग्रुप की दुकानें ही नीलाम हो पाईं। पिछली बार जारी एक टेंडर निरस्त हुआ है। पहले चरण में हातोद ग्रुप का टेंडर मंजूर हुआ था। यहां शराब दुकान की कीमत करीब 9 करोड़ तय थी पर ठेकेदार ने 50 करोड़ का ऑफर कर दिया। बाद में गलती होने की बात कहीं पर विभाग ने इसे नहीं माना और शेष राशि जमा करने के लिए कहा। सोनी के मुताबिक, राशि जमा नहीं करने पर टेंडर निरस्त कर सुरक्षा निधि जब्त की गई। इस ग्रुप को फिर से टेंडर में शामिल किया है, अब 32 ग्रुप को नीलामी का इंतजार है।
इस माह के अंत तक टेंडर के प्रयास
31 मार्च के पहले विभाग का प्रयास सभी दुकानों का टेंडर करने का है। हालांकि शराब सिंडीकेट से जुड़े बड़े ठेकेदार नए ठेके में रूचि नहीं दिखा रहे हैं। कुछ नए ठेकेदार सामने आए हैं, जिन्हें नगर निगम, आइडीए की जमीन दुकानों के लिए उपलब्ध कराई जाएंगी। इंदौर की तरह उज्जैन व जबलपुर में भी एक एक ग्रुप के लिए ही टेंडर आए। भोपाल में तो किसी भी दुकान का टेंडर जमा नहीं हुआ। वहां भी फिर से प्रयास होंगे।