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इंदौर

वर्चस्व के लिए ठोकी ताल

पंचायत चुनाव की हलचल शुरू, गांव की सरकार चुनने के लिए जनता के बीच पहुंच रहे प्रत्याशी

इंदौरJul 04, 2022 / 11:23 am

Anil Phanse

वर्चस्व के लिए ठोकी ताल

वर्चस्व के लिए ठोकी ताल

धार। चुनाव का शोर, शहर से ज्यादा चहल पहल ग्रामीण क्षेत्रों में दिखाई दे रही है। शहर में चुनाव बस जीतने के लिए लड़ा जाता है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में अपने वर्चस्व के लिए लड़ा जाता है। पांच साल में होने वाले चुनावों का गांव में बेसब्री से इंतजार किया जाता है, क्योंकि चुनाव गांवों में एक त्योहार के रूप में होता है। जिसके लिए गांव जैसी छोटी जगहों पर भी लोग अपना वर्चस्व दिखाने में पीछे नहीं हटते हैं।
गांवों में कांग्रेस व भाजपा पार्टियों का चुनाव चिन्ह तो उम्मीदवारों को नहीं मिलता है, लेकिन फिर भी गांवों में विधानसभा चुनाव जैसे उम्मीदवार खड़े होते हैं, जिसमें से कांग्रेस पार्टी का उम्मीदवार अलग होता है और भाजपा का उम्मीदवार अलग होता है। कुछ लोग निर्दलीय के रूप में मैदान संभालते नजर आते हैं।
युवा वर्ग भी ले रहा दिलचस्पी
आजकल पंचायत चुनाव में अधिकांश गावों में युवा वर्ग अपने अलग ही पहचान बनाने लगा है। तो फिर भी वह गांव में क्यों नहीं आएगा गांवों में युवा उम्मीदवार भी इस बार चुनाव में अपनी युवा वर्ग को आकर्षित करने में लगे है, क्योंकि युवा वर्ग में भी राजनीति का अलग ही जोश होता है। इसके लिए गांवों में युवा टोली बनाकर विकास को लेकर भी बाते करते हैं। वहीं कहीं पचायतों में अनुभवी सरपंच भी मैदान में हैं, क्योंकि उनका अनुभव उनके साथ है और गांव में किए गए विकास भी लोगों को दिख रहे हैं।
हर गांव में मास्टरमाइंड
सभी गांव में एक मास्टर माइंड होता है जिसे पता होता है कि चुनाव में जीत कैसे होती है। उन्हें ग्रामीण राजनीतिक वैज्ञानिक भी कहा जाता है। जिसे लंबे समय का चुनावी अनुभव होता है। सभी उम्मीदवार उनके पास जाकर उनके द्वारा दिए जाने वाले आइडिया को अपनाते हैं और जीत भी जाते हैं। कई लोग इसे राजनीतिक आका या गुरु भी कहते हैं जो उनके लिए चुनाव में मेहनत भी करते हैं।
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