script

लॉकडाउन: मां के इंतकाल के बाद बेटी के साथ फर्ज निभाता रहा पिता

locationइंदौरPublished: Apr 06, 2020 07:33:36 pm

Submitted by:

Ashtha Awasthi

संक्रमण से बचाने के लिए 20-20 घंटे कर रहे हैं ड्यूटी….

photo6071135907727125006.jpg

coronavirus

इंदौर। कोरोना के हाहाकार के बीच पूरा देश इस समय उन सभी लोगों का नमन कर रहा है जो इस मुसीबत की घड़ी में देश की जनता के लिए काम कर रहे हैं। फिर चाहें पुलिस विभाग हो, स्वास्थ विभाग हो या स्वच्छता विभाग। इस कठिन समय में मध्यप्रदेश में भी पुलिस विभाग के दो ऐसे चेहरे हैं, जिन्होंने अपने सुख और दुख को एक किनारे कर दिया है और मध्यप्रदेश की जनता की सुरक्षा में पूरी तरह से लगे हुए हैं। हम बात कर रहे हैं एसआई अशरफ अली अंसारी और उनकी बेटी डीएसपी बेटी की।

dsp_shavera_anshari_with_father_5964904_835x547-m.jpg

लॉकडाउन में फंसा परिवार

उपनिरीक्षक अशरफ अली मुख्य रुप से यूपी के बलिया जिले के रहने वाले हैं। इंदौर के लसूड़िया थाने में वे पदस्थ हैं। परिवार भी यहीं रहता है, लेकिन एक महीने पहले उनकी मां के इंतकाल हो जाने के कारण पूरे परिवार (पत्नी व बच्चों के साथ) के साथ बलिया चले गए थे। उसी दौरान पूरे देश में लॉकडाउन हो गया। ऐसी परिस्थितियों में उनका इंदौर आना मुश्किल था। इसलिए वे किसी प्रकार सीधी पहुंच गए।

बेटी के साथ लगवा ली ड्यूटी

उपनिरीक्षक अशरफ अली ने सीधी में अपनी बेटी के साथ ही ड्यूटी लगवा ली। बता दें कि उनकी बेटी शाबेरा अंसारी प्रशिक्षु डीएसपी हैं। एसआई अंसारी अब उसी थाने में सेवाएं दे रहे हैं, जिसकी प्रभारी उनकी बेटी हैं। दोनों खुश हैं कि संकट के समय उन्हें साथ काम करने का मौका मिला है।

पिता से मिलती है ताकत

प्रशिक्षु डीएसपी शाबेरा अंसारी कहती हैं इस समय देश को संक्रमण से बचाना प्राथमिकता है। पुलिस मुस्तैदी से ड्यूटी कर रही है। आमजन भी गंभीरता को समझें। बाहर निकलकर खतरा मोल न लें। पिता के साथ ड्यूटी को लेकर कहा, उन्होंने ही तो अंगुली पकड़कर चलना सिखाया है। पुलिस विभाग में उनके लंबे अनुभव से हर दिन कुछ न कुछ सीखने की कोशिश करती हूं। मनोवैज्ञानिक ताकत भी मिलती है।

20-20 घंटे कर रहे हैं ड्यूटी

मां के इंतकाल व कोराना संकट से पूरा परिवार अस्त-व्यस्त है लेकिन उपनिरीक्षक अशरफ अली अंसारी डीएसपी बेटी के साथ मोर्चे पर डटे हुए हैं। लोगों को संक्रमण से बचाने के लिए 20-20 घंटे ड्यूटी कर रहे हैं। सीधी जिले के आदिवासी बहुल्य मझौली क्षेत्र में यह काम चुनौती पूर्ण है, लेकिन वे कहते हैं यही मौका है, जब देश व समाज के लिए कुछ कर सकते हैं। परिवार की चिंता भी है, लेकिन पहले ये जरूरी है।

ट्रेंडिंग वीडियो