शोभा बाई ने बताया कि वह घरों में बर्तन साफ कर अपने परिवार का पालन पोषण किया करती थी, लेकिन कोरोना संक्रमण फैलने के साथ ही जहां पर वह काम करती थी उन्होंने उसे घर पर आने से मना कर दिया। इसके चलते अब उनके पास काम ही नहीं है। ऐसे में वह अपना पेट किस तरह भरे। दिए गए नम्बर अगर फोन लगाते हैं तो कोई उठाता ही नहीं है।
प्रेम राव बताया कि सारे काम बंद हो गए हैं। सरकारी मदद नहीं मिल पाने के कारण व स्वयंसेवी संगठन और समाजसेवी के भरोसे ही हैं। मदद की आस में बर्तन लेकर चौराहे पर आते हैं अगर पुलिस आ जाए तो खाना बांटने वाले नहीं आते। चौराहे पर भीड़ लगाने पर पुलिस भी वहां से भगाती है। ऐसे में उन्हें खाली बर्तन लेकर ही वापस घरों की ओर लौटना पड़ता है। नहीं तो मार खाना पड़ती हैं।
एक ही बार मिली मदद
छाया के मुताबिक उन्हें एक बार निगम से मदद मिल पाई है। राशन खत्म हो गया है। एक्सीडेंट होने से पैर में लग गई थी। जब काम चल रहा था तब वह काम नहीं कर पाए। इसके चलते उनके आर्थिक स्थिती काफी बदतर हो गए। वह रोजाना सड़क पर मदद की आस में खड़े रहते हैं और सड़क से निकलने वाली गाड़ी में कोई भी स्वयंसेवी उनकी मदद कर देता है। इस तरह उनका जीवन यापन चल रहा है।