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लोकसेवा केंद्र में गड़बड़ी, एक रजिस्ट्रेशन पर जारी कर दी 63 जमीनों की नकल

locationइंदौरPublished: May 25, 2019 07:43:19 pm

5 साल बाद लोकायुक्त ने दर्ज किया तहसीलदार, पटवारी, हेड कापिस्ट के खिलाफ केस


इंदौर. कलेक्टोरेट के तहसील कार्यालय में संचालित समाधान केंद्र व लोक सेवा गारंटी योजना केंद्र में करीब 5 साल पहले हुई गड़बड़ी के मामले में लोकायुक्त ने अब केस दर्ज किया है। आरोप है कि एक ही रजिस्ट्रेशन पर 63 विभिन्न खातेदारों को जमीन की नकलों की फोटोकॉपी जारी कर राजस्व का नुकसान किया गया।
लोकायुक्त एसपी सव्यसांची सराफ के मुताबिक, वर्ष 2013 से 2014 के बीच हुई गड़बड़ी के मामले में जांच के बाद पटवारी सपना राठौर, हैड कापिस्ट नरेंद्र नरवरिया, तत्कालीन तहसीलदार व अन्य अफसरों के खिलाळ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम व धोखाधड़ी व साजिश रचने की धाराओं में केस दर्ज किया है। एक आरटीआइ कार्यकर्ता की शिकायत पर केस दर्ज हुआ है। डीएसपी दिनेशचंद्र पटेल ने जांच की थी। शिकायतकर्ता ने आवेदन के साथ 63 व्यक्तियों के खसरे की नकल की प्रतिलिपियां लोकायुक्त को उपलब्ध कराई थी। नियमानुसार समाधान केंद्र व लोक सेवा गारंटी योजना केंद्र में एक रजिस्ट्रेशन पर एक ही नकल जारी करने का प्रावधान है। खातेदार को उसके स्वामित्व की जमीन के चालू खसरा, खतौनी की प्रतिलिपि आसानी से मिल सके इसलिए वर्ष 2010 में यह केंद्र शुरू हुआ था। आवेदन करने पर रजिस्ट्रेशन नंबर दर्ज होता है। इसके बाद शुरुआत 4-5 पेज पर 10 रुपए का स्टांप व फिर आगे के पेज पर 5 रुपए का स्टांप लगाकर नकल प्रदान की जाती है।
डीएसपी पटेल द्वारा जांच की गई तो पहले तो मामले में जानकारी ही नहीं मिल पा रही थी। केंद्र के संचालन का काम निजी हाथों में दिया गया था और सारी दस्तावेजी कार्रवाई सरकारी अफसर करते थे। इसका प्रभारी तहसीलदार व पटवारी स्तर के अफसर होते है। करीब एक साल तक जांच चली जिसमें पाया गया कि एक भूमि स्वामी ने अपनी जमीन की नकल मांगी तो उसके नाम से रजिस्ट्रेशन कर दिया गया। इसके बाद अन्य लोगों के आवेदन भी उसी के नाम से जारी रजिस्ट्रेशन नंबर में शामिल कर उन्हें नकल उपलब्ध कराई गई। एक ही रजिस्ट्रेशन पर करीब 63 नकल आवेदन जारी करने के सबूत मिले है। जांच में पाया या कि आम जमीन मालिक के फायदे के लिए शुरू हुई योजना का लाभ इस तरह का कृत्य करने से दलालों के व्यक्तियों को लाभ मिला। ऐसा करने से जिन कागजों पर 10 रुपए का स्टांप लगना था उन सभी पर 5 रुपए का स्टांप लगा जिससे शासन को काफी राजस्व का नुकसान हुआ। जिस तहसीलदार के कार्यकाल के दौरान इस तरह की गड़बड़ी हुई उसके नाम की जानकारी लेकर केस में शामिल किया जाएगा। साथ ही जिस ठेकेदार कंपनी के पास काम था उसके प्रतिनिधियों को भी जांच के दौरान आरोपी बनाया जाएगा।
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