गैंगस्टर सतीश भाऊ की निगरानी को लेकर बड़ी लापरवाही सामने आई। किसी को उसका असल ठिकाना ही नहीं पता। गैंगस्टर पर कार्रवाई के लिए जिम्मेदार क्राइम ब्रांच के एएसपी गुरुप्रसाद पाराशर का कहना है, सतीश भाऊ वल्लभनगर में रहता है, जो तुकोगंज थाना क्षेत्र में आता है। तुकोगंज टीआइ कमलेश शर्मा का कहना है, सतीश भाऊ 2007 से यहां नहीं रहता। एक कमरे पर 2013 तक कब्जा था, बाद में वह खाली कर दिया। वल्लभ नगर में उसका ठिकाना नहीं है।
सतीश भाऊ जेल से छूटा तो स्कीम 74 में ठिकाना बनाया। तीन साल पहले उसका मकान तोड़ दिया। इसके बाद से किसी को उसके ठिकाने का पता नहीं। अब पकड़ाया तो पता चला कि महालक्ष्मीनगर में साले के घर को ठिकाना बनाया था। विजयनगर पुलिस ने लसूडिय़ा थाने पर हिस्ट्रीशीट भेजी तो उन्होंने लेने से इनकार कर दिया। मामला अफसरों तक पहुंचा है। एसआइटी प्रभारी निरीक्षक देवेंद्र मरकाम के मुताबिक, सतीश भाऊ ने महालक्ष्मी नगर को ठिकाना बनाया है। वहां साले जितेंद्र के नाम से मकान किराए से लिया है। घर में पत्नी थी, पुलिस से उसने विवाद की कोशिश की लेकिन समझा दिया। जितेंद्र को ढूंढ़ा जा रहा है। पहले विजयनगर इलाके का पता था, अब महालक्ष्मीनगर में रहने की बात सामने आई है तो हिस्ट्रीशीट वहां भेजी जाएगी।
दो फाइलें बनती हैं, डोजियर अलग हिस्ट्रीशीटर : संपत्ति संबंधी अपराध यानी लूट, डकैती, चोरी के आरोपियों की फाइल।
गुंडा : हत्या, विवाद, धमकाना, वसूली करने वालों की फाइल। चालू फाइल : हर बंदे की फाइल है, हर साल रजिस्टर बनता है, एसआइ की जवाबदारी है, बीट वालों को चेक करेंगे। रिपोर्ट भी डालते हैं। कहां मूवमेंट, एसोसिएशन किसके साथ, आय का स्रोत क्या है।
2 माफी गुंडा : निगरानी नहीं करते हुए माफी गुंडा फाइल में शामिल कर लेते। एक महीने में एक बार, बी में दो बार व सी में महीने में तीन बार।
– गुरुप्रसाद पाराशर, एएसपी, क्राइम
पुलिस बदमाशों पर नजर रखती है, बीट की जिम्मेदारी है। सतीश भाऊ व अन्य बदमाशों के मामले में निगरानी की समीक्षा करेंगे। अगर लापरवाही सामने आती है, तो जिम्मेदारी तय कर कार्रवाई करेंगे।