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निगरानी ऐसी कि न गैंगस्टर सतीश भाऊ का ठिकाना पता न युवराज की जानकारी

locationइंदौरPublished: Jul 24, 2021 10:31:37 pm

– हिस्ट्रीशीट बना रहे, डोजियर भरवा रहे….फिर भी गैंग कर रही वारदातें
– निगरानी व्यवस्था : न बीट वाले ध्यान देते न अफसर करते हैं जांच
 

निगरानी ऐसी कि न गैंगस्टर सतीश भाऊ का ठिकाना पता न युवराज की जानकारी

निगरानी ऐसी कि न गैंगस्टर सतीश भाऊ का ठिकाना पता न युवराज की जानकारी

इंदौर. गैंगस्टर सतीश भाऊ प्रॉपर्टी विवाद सुलझा रहा, शराब कारोबार में हस्तक्षेप कर अहातों पर कब्जा जमा रहा, लेकिन पुलिस को उसका ठिकाना ही नहीं पता। गैंगस्टर युवराज उस्ताद अहाता चला रहा है, रेलवे माल गोदाम के ठेकेदारों से वसूली कर रहा, लेकिन उसके महाराष्ट्र में होने की जानकारी रिकॉर्ड में दर्ज की जाती है। ये उदाहरण है, पुलिस की निगरानी व्यवस्था के। हर साल गुंडा फाइल बनती है, लूट-चोरी करने वालों की हिस्ट्रीशीट बनती है। क्राइम ब्रांच के साथ बीट वालों को निगरानी की जिम्मेदारी दी जाती है फिर भी बदमाश वारदात कर गुजरते हैं। अब अफसर यह कह कर पल्ला झाड़ रहे हैं, किसी ने लापरवाही की होगी, तो उस पर कार्रवाई करेंगे।
जब भी बदमाश गंभीर वारदात करते हैं तो पुलिस को गुंडा फाइल याद आती है। पुलिस वर्षों से गुंडा सूची बना रही है, डोजियर भरवा रही है। सतीश भाऊ से भी भरवाया था, एसटीएफ ने बुलाकर पूछताछ की लेकिन निगरानी नहीं की। वह फिर वारदातों में शामिल हो गया। धमकाने के मामले में दो साल पहले लसूडिय़ा थाने में केस दर्ज हुआ। सीआइडी को मामला देने से उसकी गिरफ्तारी नहीं हो पाई।ये कैसी निगरानी
गैंगस्टर के ठिकानों का अलग-अलग पता
गैंगस्टर सतीश भाऊ की निगरानी को लेकर बड़ी लापरवाही सामने आई। किसी को उसका असल ठिकाना ही नहीं पता। गैंगस्टर पर कार्रवाई के लिए जिम्मेदार क्राइम ब्रांच के एएसपी गुरुप्रसाद पाराशर का कहना है, सतीश भाऊ वल्लभनगर में रहता है, जो तुकोगंज थाना क्षेत्र में आता है। तुकोगंज टीआइ कमलेश शर्मा का कहना है, सतीश भाऊ 2007 से यहां नहीं रहता। एक कमरे पर 2013 तक कब्जा था, बाद में वह खाली कर दिया। वल्लभ नगर में उसका ठिकाना नहीं है।
हिस्ट्रीशीट झूलती रही दो थानों में
सतीश भाऊ जेल से छूटा तो स्कीम 74 में ठिकाना बनाया। तीन साल पहले उसका मकान तोड़ दिया। इसके बाद से किसी को उसके ठिकाने का पता नहीं। अब पकड़ाया तो पता चला कि महालक्ष्मीनगर में साले के घर को ठिकाना बनाया था। विजयनगर पुलिस ने लसूडिय़ा थाने पर हिस्ट्रीशीट भेजी तो उन्होंने लेने से इनकार कर दिया। मामला अफसरों तक पहुंचा है। एसआइटी प्रभारी निरीक्षक देवेंद्र मरकाम के मुताबिक, सतीश भाऊ ने महालक्ष्मी नगर को ठिकाना बनाया है। वहां साले जितेंद्र के नाम से मकान किराए से लिया है। घर में पत्नी थी, पुलिस से उसने विवाद की कोशिश की लेकिन समझा दिया। जितेंद्र को ढूंढ़ा जा रहा है। पहले विजयनगर इलाके का पता था, अब महालक्ष्मीनगर में रहने की बात सामने आई है तो हिस्ट्रीशीट वहां भेजी जाएगी।
निगरानी व लापरवाही के अलग-अलग तर्क

बदमाश, चोरी, लूट का आरोपियों की गुंडा व हिस्ट्रीशीटर फाइल अलग-अलग बनती है। डोजियर भरवाए जाते हैं। इसमें परिवार, गतिविधि, आय के स्रोत की जानकारी होती है। बड़े बदमाशों की निगरानी की जिम्मेदारी क्राइम ब्रांच की है लेकिन कोई गंभीर नहीं। बीट प्रभारी व टीम को लगातार चेक कर रिकॉर्ड रखना होता है, उन्हें चेक करने की जिम्मेदारी सीएसपी-एएसपी की है, लेकिन यह व्यवस्था भंग हो चुकी है।
निगरानी की व्यवस्था
दो फाइलें बनती हैं, डोजियर अलग

हिस्ट्रीशीटर : संपत्ति संबंधी अपराध यानी लूट, डकैती, चोरी के आरोपियों की फाइल।
गुंडा : हत्या, विवाद, धमकाना, वसूली करने वालों की फाइल।

चालू फाइल : हर बंदे की फाइल है, हर साल रजिस्टर बनता है, एसआइ की जवाबदारी है, बीट वालों को चेक करेंगे। रिपोर्ट भी डालते हैं। कहां मूवमेंट, एसोसिएशन किसके साथ, आय का स्रोत क्या है।
2 माफी गुंडा : निगरानी नहीं करते हुए माफी गुंडा फाइल में शामिल कर लेते। एक महीने में एक बार, बी में दो बार व सी में महीने में तीन बार।
पुलिस रेगुलेशन में प्रावधान: राजपत्रित अधिकारी सीएसपी-एएसपी की जिम्मेदारी है, हर तीन महीने में फाइल चेक करना।

जानकारी लेते रहते हैं

बड़े बदमाशों की जानकारी लेते रहते हैं। अलग-अलग टीमों के पास जिम्मेदारी है, समय-समय पर टीमों को चेक करते हैं। वैसे हिस्ट्रीशीटर बदमाशों की लगातार निगरानी की जिम्मेदारी थानों की है।
– गुरुप्रसाद पाराशर, एएसपी, क्राइम
लापरवाही हुई है, तो अब कार्रवाई होगी
पुलिस बदमाशों पर नजर रखती है, बीट की जिम्मेदारी है। सतीश भाऊ व अन्य बदमाशों के मामले में निगरानी की समीक्षा करेंगे। अगर लापरवाही सामने आती है, तो जिम्मेदारी तय कर कार्रवाई करेंगे।
– आशुतोष बागरी, एसपी पूर्व

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