मैजिक चालकों से विद्यार्थी वर्ग परेशान
मैजिक चालकों से सबसे ज्यादा विद्यार्थी वर्ग परेशान हैं। महू से लेकर पीथमपुर तक रोजाना सैकड़ो विद्यार्थी आना-जाना करते हैं। हालात इतने खराब है कि महू के सैकड़ों विद्यार्थी है जो रोजाना पलासिया स्थित भेरूलाल पाटीदार महाविद्यालय से आना-जाना करते हैं। मैजिक चालक उन विद्यार्थियों से भी 10 रुपए वसूलते हैं, जबकि 4 कि.मी के इस सफर में 5 रुपए लगते हैं। बावजूद इसके प्रशासन इनके विरुद्ध कोई कड़ी कार्रवाई नहीं करता। इतना ही नहीं, पीथमपुर के हजारों विद्यार्थी प्रतिदिन मैजिक से ही आते-जाते हंै। लेकिन कुछ चुनिंदा मैजिक चालक पीथमपुर से महू आने के 15 से 20 रुपए वसूलते हैं।
मैजिक चालकों से सबसे ज्यादा विद्यार्थी वर्ग परेशान हैं। महू से लेकर पीथमपुर तक रोजाना सैकड़ो विद्यार्थी आना-जाना करते हैं। हालात इतने खराब है कि महू के सैकड़ों विद्यार्थी है जो रोजाना पलासिया स्थित भेरूलाल पाटीदार महाविद्यालय से आना-जाना करते हैं। मैजिक चालक उन विद्यार्थियों से भी 10 रुपए वसूलते हैं, जबकि 4 कि.मी के इस सफर में 5 रुपए लगते हैं। बावजूद इसके प्रशासन इनके विरुद्ध कोई कड़ी कार्रवाई नहीं करता। इतना ही नहीं, पीथमपुर के हजारों विद्यार्थी प्रतिदिन मैजिक से ही आते-जाते हंै। लेकिन कुछ चुनिंदा मैजिक चालक पीथमपुर से महू आने के 15 से 20 रुपए वसूलते हैं।
बिन परमिट व लाइसेंस से दौड़ा रहे मैजिक
शहर में अगर पुलिस प्रशासन द्वारा मैजिक वाहनो की जांच की जाये तो ज्यादातर मैजिक बिन परमिट व लाईसेेस वाली मिलेगी। जिसको शायद प्रशासन भी अनदेखा कर रहा है। ज्यादातर वाहन दुसरे रूट की होती है परन्तु अपने रूट पर ना चलाते हुये बैखोफ दूसरे रूट पर गाड़ी चलाते नजर आते है।
शहर में अगर पुलिस प्रशासन द्वारा मैजिक वाहनो की जांच की जाये तो ज्यादातर मैजिक बिन परमिट व लाईसेेस वाली मिलेगी। जिसको शायद प्रशासन भी अनदेखा कर रहा है। ज्यादातर वाहन दुसरे रूट की होती है परन्तु अपने रूट पर ना चलाते हुये बैखोफ दूसरे रूट पर गाड़ी चलाते नजर आते है।
नाबालिग चलाते हैं वाहन
शहर में मैजिक चालको को पुलिस का जरा भी खोफ नही है। यही कारण है की शहर में नाबालिग भी मैजिक दौडा रहे है। जिससे पुलिस भी बेखबर है। नाबालिगो का मैजिक चलाना बडे हादसे को प्रोत्साहित करता है। नाबालिगो का ना तो लाइसेंस होता है। और ना ही परमीट।
शहर में मैजिक चालको को पुलिस का जरा भी खोफ नही है। यही कारण है की शहर में नाबालिग भी मैजिक दौडा रहे है। जिससे पुलिस भी बेखबर है। नाबालिगो का मैजिक चलाना बडे हादसे को प्रोत्साहित करता है। नाबालिगो का ना तो लाइसेंस होता है। और ना ही परमीट।
बिना वर्दी के दौडा रहे वाहन
शहर में मैजिक चालकों को वर्दी पहनने व नंबर प्लेट लगाने से परहेज है। पुलिस की कारवाई का कोई खोफ नही। कुछ सवाल जिसका उठना लाजमी हैं। क्या वर्दी पहनना सिर्फ बडे शहर के मैजिक चालको के लिये जरूरी है। रेल्वे स्टेशन व मैन स्टेंडो पर पुलिस हमेशा रहती है। फिर भी मैजिक चालक वर्दी पहनने को तैयार नही होते।
शहर में मैजिक चालकों को वर्दी पहनने व नंबर प्लेट लगाने से परहेज है। पुलिस की कारवाई का कोई खोफ नही। कुछ सवाल जिसका उठना लाजमी हैं। क्या वर्दी पहनना सिर्फ बडे शहर के मैजिक चालको के लिये जरूरी है। रेल्वे स्टेशन व मैन स्टेंडो पर पुलिस हमेशा रहती है। फिर भी मैजिक चालक वर्दी पहनने को तैयार नही होते।
जांच होगी
“अगर मैजिक चालकों द्वारा यात्रियों से मनमाना पैसा लिया जा रहा है तो इन पर हम जल्द ही कारवाई करेगे। और परमीट की भी जांच होगी।”
–आर.के शुक्ला, यातायात प्रभारी
“अगर मैजिक चालकों द्वारा यात्रियों से मनमाना पैसा लिया जा रहा है तो इन पर हम जल्द ही कारवाई करेगे। और परमीट की भी जांच होगी।”
–आर.के शुक्ला, यातायात प्रभारी