scriptSuccess Story : मप्र में इन्होंने रखी उद्योगों की नींव और फिर सफलता ने कहीं जाने ही नहीं दिया | Magnificent MP : He laid the foundation of industries in MP | Patrika News

Success Story : मप्र में इन्होंने रखी उद्योगों की नींव और फिर सफलता ने कहीं जाने ही नहीं दिया

locationइंदौरPublished: Oct 18, 2019 10:54:59 am

मैग्नीफिसेंट एमपी : हर लिहाज से निवेश के लिए बेहतर है हमारा प्रदेश

संदीप पारे @ इंदौर. मध्यप्रदेश कर्मवीरों की भूमि है। उद्यमिता इसकी पहचान है। इसी भूमि पर नींव रखकर कई उद्यमियों ने सफलता के ऐसे आयाम छुए कि यहीं के होकर रह गए। सफलता की इन्हीं कहानियों को उन्हीं कर्मवीर उद्यमियों की जुबानी सुना रहा है, पत्रिका…
23 देशों में एक्सपोर्ट कर रहे जैविक कपड़ा

Success Story : मप्र में इन्होंने रखी उद्योगों की नींव और फिर सफलता ने कहीं जाने ही नहीं दिया
यह मप्र ही है, जहां उद्योग सुरक्षा और शांति के साथ चला सकते हैं। पिताजी ने 1994 में पीथमपुर में धागा बनाने की यूनिट से काम शुरू किया। तब यहां अनेक समस्याएं थी, लेकिन इसके बीच यहां के लोगों की काम करने की प्रवृत्ति ने हमें इस मुकाम पर ला खड़ा किया है। आज हम इंटीग्रेटेड फेब्रिक में दुनियाभर में पहचान रखते हैं। खरगोन-झाबुआ-धार जिले में 17 हाजर किसानों के साथ कपास का बड़ा नेटवर्क तैयार किया है। कपास की उन्नत व जैविक तकनीक के साथ काम कर रहे हैं। वर्तमान में टेक्सटाइल उद्योग के सामने बहुत सी चुनौतियां हैं। 20 फीसदी केपेसिटी कम हुई है, लेकिन सरकारों की नीतियों के चलते काफी सहयोग मिलता रहा। राज्य सरकार अच्छा काम कर रही है। हमारा मानना है, जब अपनी सोच नेक है तो सरकार का भी पूरा सहयोग मिलता है। बस एक छोटा सा सुझाव है, यदि इन्सेटिव समय पर मिलें तो इंडस्ट्री बहुत बड़ी परेशानी से बच जाती है।
– श्रेयस्कर चौधरी, प्रतिभा सिंटेक्स
घोषणाओं पर अमल कर फायदा दें

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कृषि उत्पादों के मामले में प्रदेश की स्थिति अन्य प्रदेशों से बेहतर और संपन्न है। यहां की गुणवत्ता भी बहुत अच्छी है। प्रोसेसिंग कर उत्पाद बनाएं तो एक्सपोर्ट क्वालिटी के प्रॉडक्ट बन सकते हैं। अडानी विलमोर को प्रदेश में 10 साल से भी ज्यादा हो गए। सरकार के साथ हमारा अनुभव ठीक-ठीक ही रहा। यहां नीतियां अच्छी बनाई जाती है, लेकिन अमल करने में अधिकारी आनाकानी करते हैं। इससे खास कर आर्थिक छूट की घोषणाओं का लाभ उद्योगों को समय पर कभी नहीं मिल पाता। सरकार यदि अफसरों के इस रवैए में कुछ सुधार ला सके तो फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री के लिए मप्र से बेहतर अवसर कहीं नहीं हैं। क्योंकि यहां से देश के महानगरों तक की पहुंच 10 से 12 घंटे से भी कम है।
– कृपाराम वाष्णेय, वाइस प्रेसिडेंट अडानी विल्मोर
मप्र में हो रहा एक्सपोर्ट क्वालिटी बासमती

Success Story : मप्र में इन्होंने रखी उद्योगों की नींव और फिर सफलता ने कहीं जाने ही नहीं दिया
दावत फूड्स का प्रदेश में पदार्पण पहली इन्वेस्टर्स समिट में हुआ था। यहां जब वातावरण देखा तो मंडीद्वीप में प्लांट लगाने का एमओयू कर 2007 में काम शुरू किया। सरकार का सहयोग और हमारी मेहनत से आज ३ प्लांट हो गए हैं। इसका श्रेय यहां के किसानों को भी देता हूं, जिन्होंने खुद को बासमती चावल की खेती के लिए तैयार किया। प्रदेश मंे कांट्रेक्ट फार्मिंग के जरिए काम कर रहे हैं। किसानों के साथ सीधा अनुबंध कर अपना उत्पाद लगवाते हैं। यहां पैदा होने वाले बासमती चावल की क्वालिटी एक्सपोर्ट की है। भोपाल, हरदा, होशंगाबाद क्षेत्र में 40 हजार हेक्टेयर से ज्यादा क्षेत्र में किसानों के साथ काम कर रहे हैं। यहां पर 12 लाख टन धान का उत्पादन होता है, जिसमें से 50 फीसदी एक्सपोर्ट हो रहा है। यहां का चावल अमेरिका, यूरोप में काफी पंसद किया जाता है।
– अश्वनी अरोरा, दावत फूड्स लिमिटेड
तीन साल में 1400 करोड़ रुपए विस्तार में लगाए

Success Story : मप्र में इन्होंने रखी उद्योगों की नींव और फिर सफलता ने कहीं जाने ही नहीं दिया
मध्यप्रदेश में हमने 1991 में काम शुरू किया था और अब भोपाल के पास मंडीदीप में दो और बुधनी में एक प्लांट है। कंपनी धागा और कपड़ा बनाने के साथ अपनी जरूरत के लिए पॉवर जनरेट भी कर रही है। प्रदेश के 11 हजार लोगों को रोजगार दिया है। प्रदेश में बेहतर माहौल के चलते ही तीनों प्लांट के विस्तार के लिए पिछले तीन साल में करीब 1400 करोड़ रुपए खर्च किए हैं। प्रदेश की उद्योग नीतियों व योजनाओं का काफी फायदा मिला है। यहां निवेश और उद्योगों के विस्तार के लिए सरकार कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रही है। सरकार की योजना के चलते कंपनी स्वास्थ और शिक्षा के क्षेत्र में 20 करोड़ रुपए का सीएसआर फंड जारी कर चुकी है।
– एस पाल, निदेशक, वर्धमान इंडस्ट्रीज मप

एक हजार करोड़ का कारोबार ही हमारा अनुभव

मप्र में काम करते हुए श्रीजी पॉलिमर्स को 36 साल हो गए। 1983 में पेकेजिंग की छोटी सी यूनिट से उज्जैन में काम शुरू किया, आज चार राज्यों में काम कर रहे हैं। सबसे अच्छा अनुभव मप्र के साथ ही रहा। यहीं वजह है, इंदौर-उज्जैन के साथ ही मंडीदीप, ग्वालियर, देवास में भी यूनिट काम कर रही हैं। सरकार उद्योगपति की समस्याओं को सुन हल करने का प्रयास भी करती हैं। यहां उद्योग चलाने के कई फायदे हैं। वर्कर अच्छे हैं, कॉस्ट ऑफ लिविंग कम है, लोग नौकरियां भी बार-बार नहीं बदलते इसलिए टीमवर्क बहुत अच्छा होता है। लोकल टेलेंट भी मौजूद है। इन सबके साथ सरकार का भी सहयोग मिलता है। एक वाकया बताता हूं… सेज में यूनिट लगाई तो राज्य के फायदे मिलना बंद हो गए। इस पर सीएस और उद्योग मंत्री से चर्चा की तो दोनों ने मिल कर समस्या का हल निकालते हुए नोटिफिकेशन कर दिया। सबका फायदा हुआ।
– आनंद बांगर, श्रीजी पॉलिमर्स

सरकार-उद्योग के समन्वय से बेहतर भविष्य

मप्र में बेहतर औद्योगिक अनुभव के आधार पर ही लगातार निवेश करते रहे। 1991 में मालनपुर ग्वालियर में आए और वहीं के बन के रह गए। मौजूदा समय उद्योग के लिए थोड़ा कठिन होने के बावजूद प्रदेश सरकार रोजगार लाने के प्रयास कर रही है। यहां संसाधनों की कमी नहीं हैं। २८ साल में दोनों ही सरकारों के साथ काम किया, एेसा नहीं लगा कि प्रदेश से बाहर जाना चाहिए। मप्र बेहतर इसलिए भी है कि देश के मध्य में है। यहां से देश ही नहीं दुनिया में अच्छी कनेक्टिविटी है। सबसे बड़ी बात मप्र की विश्वव्यापी पहचान का फायदा उद्योगों को मिलता है। नीतियों मंे सरकार और उद्योग दोनों भागीदार होते हैं। यदि दोनों समन्वयय से काम करेंगे तो मप्र का भविष्य बेहतर होगा।
– वसुमित्रा पांडे, सूर्या रोशनी

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