तीन माह पहले प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा व संगठन महामंत्री सुहास भगत ने प्रदेश के सभी जिलों की कार्यकारिणी को लेकर सूचियां बुलवा ली थीं। उसमें नगर अध्यक्ष गौरव रणदिवे भी इंदौर के नाम सौंप आए थे। उसके बावजूद घोषणा नहीं हो सकी, जिसके पीछे की एक वजह मोहन सेंगर भी हैं। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया चाहते हैं कि इंदौर नगर में सेंगर को उनकी पसंद से महामंत्री बनाया जाए। इस बात की भनक राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय व विधायक रमेश मेंदोला को लगी। वे पूरी ताकत से इसका विरोध कर रहे हैं। इस वजह से अब तक सेंगर के लिए वातावरण अनुकूल नहीं था, लेकिन धीरे-धीरे राजनीतिक करवट बदल रही है।
दो नंबरी भाजपाइयों के विरोधी अब उन्हें दम देने में जुट गए हैं। इसमें से कुछ तो खुलकर सामने आ गए हैं तो कुछ दो नंबरी की नाराजगी सीधे झेलने के मूड में नहीं हैं और वे पर्दे के पीछे से मदद कर रहे हैं। हाल ही में एक नया समीकरण सामने आया, जिसमें सेंगर ने 2.51 लाख रुपए समर्पण निधि का चेक पूर्व विधायक सुदर्शन गुप्ता को सौंपा। दो नंबरी भाजपाइयों से सुदर्शन की पटरी नहीं बैठती है। एक नंबर विधानसभा में मेंदोला ने विरोधियों को चुनाव से पहले काफी हवा भरने का काम किया था। कथाओं के माध्यम से माहौल बनाने की कोशिश की थी। एक बड़ी वजह ये भी है कि सुदर्शन और सेंगर के बीच में नया गठजोड़ हो गया।
दो नंबरी भाजपाइयों के विरोधी अब उन्हें दम देने में जुट गए हैं। इसमें से कुछ तो खुलकर सामने आ गए हैं तो कुछ दो नंबरी की नाराजगी सीधे झेलने के मूड में नहीं हैं और वे पर्दे के पीछे से मदद कर रहे हैं। हाल ही में एक नया समीकरण सामने आया, जिसमें सेंगर ने 2.51 लाख रुपए समर्पण निधि का चेक पूर्व विधायक सुदर्शन गुप्ता को सौंपा। दो नंबरी भाजपाइयों से सुदर्शन की पटरी नहीं बैठती है। एक नंबर विधानसभा में मेंदोला ने विरोधियों को चुनाव से पहले काफी हवा भरने का काम किया था। कथाओं के माध्यम से माहौल बनाने की कोशिश की थी। एक बड़ी वजह ये भी है कि सुदर्शन और सेंगर के बीच में नया गठजोड़ हो गया।
ये भी समीकरण
इधर, विधायक मालिनी गौड़ से भी सेंगर के अच्छे संबंध हैं। दोनों ही नेता महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरि के शिष्य हैं। मंत्री तुलसीराम सिलावट खुलकर सामने नहीं आ रहे लेकिन पर्दे के पीछे वे भी चाहते हैं कि सेंगर को महामंत्री पद मिले। ऐसे में अब विरोधी खेमा साथ होता है तो सेंगर की मदद भी हो सकती है। वहीं, सिंधिया की बात में वजन भी बढ़ सकता है। उनको बोलने के लिए हो जाएगा कि स्थानीय स्तर पर सेंगर के विरोधी हैं तो समर्थक भी हैं।
इधर, विधायक मालिनी गौड़ से भी सेंगर के अच्छे संबंध हैं। दोनों ही नेता महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरि के शिष्य हैं। मंत्री तुलसीराम सिलावट खुलकर सामने नहीं आ रहे लेकिन पर्दे के पीछे वे भी चाहते हैं कि सेंगर को महामंत्री पद मिले। ऐसे में अब विरोधी खेमा साथ होता है तो सेंगर की मदद भी हो सकती है। वहीं, सिंधिया की बात में वजन भी बढ़ सकता है। उनको बोलने के लिए हो जाएगा कि स्थानीय स्तर पर सेंगर के विरोधी हैं तो समर्थक भी हैं।
शर्मा के पाले में गेंद
सूत्रों के मुताबिक जिला भाजपा की तर्ज पर ही नगर में पदाधिकारियों की नियुक्ति होगी। जैसे जिला अध्यक्ष राजेश सोनकर ने मूल भाजपा के 8-8 उपाध्यक्ष व मंत्री और तीन महामंत्रियों के नाम दे दिए थे, वैसे ही नगर इकाई ने भी सूची दे दी है। सिंधिया समर्थकों के नाम अतिरि?त में जोड़े जाना हैं। वहीं, नगर ने अपने नामों की सूची प्रदेश को सौंप दी है, सिर्फ सिंधिया के नाम को जोड़कर घोषणा की जाना है।
सूत्रों के मुताबिक जिला भाजपा की तर्ज पर ही नगर में पदाधिकारियों की नियुक्ति होगी। जैसे जिला अध्यक्ष राजेश सोनकर ने मूल भाजपा के 8-8 उपाध्यक्ष व मंत्री और तीन महामंत्रियों के नाम दे दिए थे, वैसे ही नगर इकाई ने भी सूची दे दी है। सिंधिया समर्थकों के नाम अतिरि?त में जोड़े जाना हैं। वहीं, नगर ने अपने नामों की सूची प्रदेश को सौंप दी है, सिर्फ सिंधिया के नाम को जोड़कर घोषणा की जाना है।
राव की खराब हो रही बात
प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव अब तक प्रदेश की आधा दर्जन बैठकों में सभी जिलों में घोषणा करने के निर्देश दे चुके हैं। इसके बावजूद इंदौर व ग्वालियर नगर की टीम अब तक प्रकट नहीं हो सकी। दोनों ही जिलों के नामों की सूची प्रदेश के पास में पहुंच चुकी है। मजेदार बात ये है कि उसके बाद राव का भी तीन बार दौरा हो चुका है। ऐसा भी नहीं हो सकता है कि इंदौर व ग्वालियर में जिलों की घोषणा नहीं होने की जानकारी उन्हें ना हो।
प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव अब तक प्रदेश की आधा दर्जन बैठकों में सभी जिलों में घोषणा करने के निर्देश दे चुके हैं। इसके बावजूद इंदौर व ग्वालियर नगर की टीम अब तक प्रकट नहीं हो सकी। दोनों ही जिलों के नामों की सूची प्रदेश के पास में पहुंच चुकी है। मजेदार बात ये है कि उसके बाद राव का भी तीन बार दौरा हो चुका है। ऐसा भी नहीं हो सकता है कि इंदौर व ग्वालियर में जिलों की घोषणा नहीं होने की जानकारी उन्हें ना हो।