तीन बार हुए हादसे लेकिन मां की मूर्ति सुरक्षित पुजारी पंडित दिनेश उज्जैनकर ने बताया कि इंदौर के इस महालक्ष्मी मंदिर में तीन बार दुर्घटना हो चुकी है, लेकिन हर बार मां की मूर्ति को आंच तक नहीं आई, 1930 में मंदिर धराशायी हो गया था, तब लकड़ी के पाट इस तरह गिरे की मां लक्ष्मी की मूर्ति के ऊपर छत्र बन गया, वहीं 1972 में यहां आग लग गई थी, वह भी इतनी भीषण थी कि कोई अंदर जा नहीं पाया था, आग से पूरा मंदिर जलकर खाक हो गया था, उसके बाद भी मूर्ति को कुछ नहीं हुआ था, इसके बाद तीसरी बार साल 2011 में मंदिर का प्लास्टर गिर गया था, तब भी मूर्ति को नुकसान नहीं हुआ पुजारी भी सुरक्षित थे।
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महालक्ष्मी को देते हैं निमंत्रण
दीपावली पर माता के मंदिर में तीन दिवसीय पर्व की शुरूआत धनतेरस से हो जाती है। चूंकि धनतेरस के दिन महालक्ष्मी की पूजा का विधान है, श्रद्धालु महालक्ष्मी की आराधना करते हैं। यहां श्रद्धालु हल्दी चावल का निमंत्रण लेकर मंदिर पहुंचते हैं ताकि महालक्ष्मी का वास घर में हो।
महालक्ष्मी को देते हैं निमंत्रण
दीपावली पर माता के मंदिर में तीन दिवसीय पर्व की शुरूआत धनतेरस से हो जाती है। चूंकि धनतेरस के दिन महालक्ष्मी की पूजा का विधान है, श्रद्धालु महालक्ष्मी की आराधना करते हैं। यहां श्रद्धालु हल्दी चावल का निमंत्रण लेकर मंदिर पहुंचते हैं ताकि महालक्ष्मी का वास घर में हो।