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महाशिवरात्रि : कहीं सूखे मेवे से तो कहीं भांग से भोले का शृंगार, बरात में थिरके भूत-पिशाच

locationइंदौरPublished: Mar 05, 2019 11:17:16 am

कहीं सूखे मेवे से तो कहीं भांग से भोले का शृंगार, बरात में थिरके भूत-पिशाच

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महाशिवरात्रि : कहीं सूखे मेवे से तो कहीं भांग से भोले का शृंगार, बरात में थिरके भूत-पिशाच

इंदौर. महाशिवरात्रि पर सोमवार को अलसुबह से शहर के मंदिरों में महारूद्राभिषेक और अनुष्ठान की गूंज सुनाई देने लगी। शिवालय बम-बम बोले और ऊं नम: शिवाय के मंत्रों से गूंजते रहे। शाम को मंदिरों में दूल्हा बने भोलेनाथ का कहीं सूखे मेवे से तो कहीं भांग से विशेष शृंगार हुआ। शिवालय फूलों और इत्र की खुशबू से महकने लगे। भांग और ठंडाई के साथ ही खिचड़ी प्रसाद लेने के लिए भक्त दिनभर उमड़ते रहे। भजन संध्या और रात में शिव-पार्वती के विवाह में बराती शामिल होने के लिए आतुर दिखे। शिव दुल्हा बनकर पार्वती संग विवाह करने भूत-पिशाच और भक्तों से संग पहुंचे। शहर भी बराती की तरह शामिल हुआ।
गेंदेश्वर द्वादश ज्योतिर्लिंग मंदिर, परदेशीपुरा : सुबह भस्मारती के बाद सहस्त्रधारा रूद्राभिषेक हुआ। शिव सहस्त्रधारा के 1100 पाठ से द्वादश ज्योतिर्लिंगार्चन किया। शाम को विवाह मंडप में शहनाइयों की गूंज के बीच भगवान भोलेनाथ को दूल्हे और माता पार्वती को दुल्हन के रूप में विराजित किया। शिव-पार्वती विवाह होते ही भक्त झूम उठे।
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वैष्णवधाम, बिचौसी मर्दाना : रूद्राभिषेक के बाद विशेष शृंगार हुआ। भजन कीर्तन के साथ देशभक्ति गीतों की भी प्रस्तुति हुई।

श्री श्रीविद्याधाम, एरोड्रम रोड : नौ दिवसीय शिव नवरात्रि महोत्सव में 121 विद्वानों ने महामंडलेश्वर स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती के सान्निध्य में सुबह भगवान भवानी शंकर का रूद्राभिषेक, विशेष शृंगार दर्शन व अभिषेक हुआ। सैकड़ों श्रद्धालु शामिल हुए। 56 भोग समर्पित किया।
नीलकंठेश्वर महादेव, लादूनाथ आश्रम, एमओजी लाइन्स : गुरु आश्रम न्यास समिति ट्रस्ट के तत्वावधान में महंत रामकिशन के सान्निध्य में सुबह फलों के रस से अभिषेक व पूजा-अर्चना के बाद 100 लीटर ठंडाई का वितरण हुआ।
इन मंदिरों में भी मनाया गया पर्व

सार्वजनिक प्राचीन पंच देव मंदिर में मुख्य पुजारी पं. रमादेवी गुरुमाता के निर्देशन मेें 11 पंडितों के साथ भक्तजनों ने आठ प्रहर का पूजन व आरती की। विशेष शृंगार किया गया। बच्चों की परीक्षा को देखते हुए आयोजन में स्पीकर का उपयोग नहीं किया गया। अभिषेक में नाममात्र का दूध उपयोग कर शेष गरीब बच्चों और मूक पशुओं के लिए प्रदत्त किया।
पीलियाखाल के प्राचीन हंसदास मठ स्थित हंसेश्वर महादेव मंदिर, गौरीशंकर तथा काशी विश्वनाथ भगवान की प्रतिमाओं के पूजन, अभिषेक व शृंगार दर्शन के लिए सुबह से देर रात तक भक्तों का तांता लगा रहा। नवस्थापित हंसेश्वर महादेव महारूद्राभिषेक के साथ शुभारंभ हुआ।
गीता भवन परिसर स्थित शिव मंदिर में गुब्बारों, फूलों व विद्युत सज्जा से विशेष शृंगार किया। सुबह से देर रात तक भक्तों का मेला लगा रहा। सुबह सत्संग सभागृह में 11 विद्वानों ने रूद्राभिषेक किया। स्वामी पुरुषोत्तमानंद सरस्वती ने शिवरात्रि की महत्ता बताई।
अन्नपूर्णा मंदिर शिव मंदिर पर सुबह 21 विद्वानों ने रूद्राभिषेक किया। महामंडलेश्वर स्वामी विश्वेश्वरानंद गिरि के सान्निध्य व स्वामी जयेंद्रानंद सरस्वती के मार्गदर्शन में संध्या को हजारों दीपों से भगवान शिव के लिए विवाह मंडप सजाया।
फूलों से सजी पालकी में निकले आनंदेश्वर

महाशिवरात्रि पर्व पर भगवान आनंदेश्वर महादेव की पालकी यात्रा शिव मंदिर सुदामा नगर से निकाली। भक्तों ने फूलों से सजी पालकी में विराजित आनंदेश्वर महादेव को अपने कंधों पर उठाया। पालकी यात्रा शिव मंदिर चौक सुदामा नगर से दोपहर में प्रारंभ हुई। रात में बाबा का विवाह, शुभ लग्न एवं आरती के बाद महाप्रसादी का वितरण हुआ।
महाकालेश्वर मंदिर, खजराना गणेश : पुजारी पं. मोहन भट्ट व पं. अशोक भट्ट के सान्निध्य में कलेक्टर व मंदिर प्रबंधन समिति अध्यक्ष लोकेश जाटव, मंदिर प्रशासक आशीष सिंह ने सपत्निक अभिषेक व पूजन किया। भक्त मंडल की ओर से 25 क्विंटल फलाहारी खिचड़ी व खीरान प्रसाद का भोग लगाया।
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