1. धागन- डोर : पतंग को उड़ाने वाले धागे को हमारे शहर में धागन कहा जाता है। अन्य स्थान पर इसे डोर के नाम से जाना जाता है 2. ऊचका-चकरी : धागन को इसी में लपेटा जाता है।
3. जोते : पतंग को उड़ाने से पहले धागन से जोते बांधे जाते हैं। इस पर ही पतंक का सारा दारोमदार रहता है। यदि जोते सही नहीं बंधे होते हैं तो पतंग उड़ती ही नहीं है।
4. कांप : पतंग में बांस की दो किमचियां लगाईं जाती है, जिन्हें काम कहते हैं और इन्हीं पर धागन से जोते बांधे जाते हैं। 5. खिरनी : आसमान में पतंग एक ही दिशा में यदि घुमती है तो उसका बैलेंस बनाने के लिए धागन से खिरनी बांधी जाती है।
6. लिप्पू : कमजोर कांप वाली पतंग को लिप्पू कहा जाता है। 7. उड़न्ची : उड़ान की शुरुआत उड़न्ची से ही होती है। दूसरे छोर से हवा का रूख देखते हुए पतंग को दोनों हाथों से ऊपर की ओर उछाला जाता है, जिसे उड़न्ची कहते हैं।
8. ठुनकी : हवा के रूख के अनुसार पतंग को उड़ाने के लिए धागन को झटके दिए जाते हैं जिसे ठुनकी कहा जाता है। 9. ढील : पतंग को वहा के रूख के साथ ऊंचा उड़ाने धागन को गति से छोड़ा जाता है, जिसे ढील कहा जाता है
10. खेंच : पतंग को हवा के रूख के अनुसार करने के लिए धागन को गति से अपनी और खींचा जाता है। 11. पेंच : आसमान में मौजूद दूसरी पतंग के साथ गुत्थम गुत्था
12. पुच्छी, पुछल्ला : पंतग को आकर्षक बनाने के लिए निचले हिस्से में कागज के टुगड़े जोड़े जाते हैं। 13. लंगड़ : पतंग लूटने के लिए धागन में पत्थर बांधा जाता है, जिसे लंगड़ कहा जाता है।
14. काटा है.. : जब एक पतंग के दूसरी के साथ पैंच लड़ता है और एक कट जाती है तो कहा जाता है काटा है।