संजय रजक.इंदौर.रेलवे हर साल करोड़ों रुपए ट्रेनों में सफाई के लिए खर्च कर रहा है। जिन्हें सफाई का जिम्मा मिला है, उनकी लापरवाही ऐसी है कि यात्रियों को गंदगी के बीच सफर करना पड़ रहा है। तीन दिन पहले मालवा एक्सप्रेस से आए यात्रियों को ऐसी ही परेशानियों का सामना करना पड़ा। दरअसल रेलवे द्वारा चलती ट्रेन में साफ-सफाई के लिए ऑन बोर्ड हाउस कीपिंग सर्विस (ओबीएचएस) चलाई जाती है। इसके संचालन के लिए रेलवे निजी कंपनियों को ठेका देता है। इंदौर से आने-जाने वाली ट्रेनों में इस
काम के लिए करोड़ों रुपए सालाना खर्च किए जा रहे हैं, लेकिन काम कर रही एजेंसी रेलवे को ही चपत लगा रही है।
7 दिसंबर को कटरा से चली मालवा एक्सप्रेस के स्लीपर और एसी कोच में सफाई को लेकर खानापूर्ति की गई। एस-5 कोच में वॉश बेसिन से लेकर फ्लोर तक सभी पर गंदगी थी, लेकिन साफ करने वाला कोई नहीं। सफाईकर्मियों ने शाम को सफाई की, वह भी नाम की। अन्य ट्रेनों में भी इसी तरह की परेशानी है।
यह होना चाहिएरेलवे ट्रेनों में सफाई के लिए हर साल करोड़ों रुपए खर्च कर रही है, लेकिन काम करने वाली एजेंसी खानापूर्ति कर रही है। नियमानुसार ओबीएसएच में कर्मचारी को फ्लोर पर झाड़ू-पोंछा, टायलेट की सफाई, एसी कोच में लिक्विड सोप, टायलेट पेपर भी मुहैया कराने हैं।
हर चार कोच पर एक कर्मचारीनियमानुसार ओबीएचएस के तहत हर 4 कोच पर एक सफाई कर्मचारी होना चाहिए। इसके बाद 5 कोच पर दो कर्मचारी, 8 कोच पर 3 कर्मचारी और एक सुपरवाइजर होना चाहिए। कोच अधिक होने पर इसी तरह कर्मचारियों की संख्या होना चाहिए।
बचा लेते हैं केमिकलजानकारी के अनुसार ट्रेनों में कार्यरत सफाईकर्मी काम के दौरान नाममात्र का केमिकल यूज करते हैं। सफाई के अलावा यह कर्मचारी दूसरे सामान भी यात्रियों को बेचते हैं, जो कि पूरी तरह से गलत है।
करोड़ों का ठेका, काम नहींजानकारी के अनुसार इंदौर आने-जाने वाली 10 से अधिक ट्रेनों की सफाई के लिए रेलवे ने दो एजेंसी को करोड़ों रुपए का ठेका दिया है। इसमें एक है प्रथम एजेंसी। इस एजेंसी को तीन साल के लिए 3 करोड़ रुपए से अधिक का ठेका दिया गया। एजेंसी को मालवा एक्सप्रेस, शिप्रा एक्सप्रेस, पटना एक्सप्रेस, यशवंतपुर आदि में आते-जाते सफाई करना है। इसी तरह से दूसरी एजेंसी कामधेनु है। इसे भी रेलवे ने 3 करोड़ रुपए से अधिक का ठेका तीन साल के लिए दिया है। इस एजेंसी के पास पुणे एक्सप्रेस, मालवा साप्ताहिक, चंडीगढ़ एक्सप्रेस, अमृतसर एक्सप्रेस,
उदयपुर एक्सप्रेस, कोच्चिवेली आदि ट्रेन का जिम्मा है। करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी ट्रेनों में सफाई नहीं हो पा रही है।