इंदौरPublished: Oct 15, 2023 07:44:54 am
Ashtha Awasthi
इंदौर। 2018 के विधानसभा चुनाव में मालवा-निमाड़ ने भाजपा को करारा झटका दिया। यहां कांग्रेस ने अपना परचम फहराया। हजारों वोटों से चुनाव जीतने वाली विधानसभाओं में हारना भाजपा के लिए सदमे जैसा था। इस चुनाव में भी मालवा-निमाड़ में जीत पार्टी के लिए आसान नहीं नजर आ रही है।
मध्यप्रदेश की सत्ता में वही राजनीतिक दल काबिज होता है, जिसका साथ मालवा-निमाड़ देता है। 2013 और 2018 विधानसभा चुनाव के नतीजे इसके गवाह हैं। 2013 के चुनाव में इंदौर और उज्जैन संभाग की 66 सीटों में से 56 पर फतह हासिल की थी। पार्टी के प्रत्याशी बम्पर वोटों से जीते थे। हारने वाली सीटों का अंतर भी बहुत कम था। 2018 में 66 में से भाजपा के खाते में 27 विधानसभा ही हाथ आई, जबकि 39 विधानसभा जीतकर कांग्रेस ने सरकार बनाई। परिणाम चौंकाने वाले थे, क्योंकि 2013 में पार्टी ने जिन सीटों को हजारों वोटों से जीता था, उन पर करारी हार मिली थी। ऐसा नहीं था कि ये हार आदिवासी सीटों पर ही हुई। उज्जैन संभाग की विधानसभाओं के परिणाम भी अपेक्षा से उलट थे।