ऐसे समझें मालवा का सियासी सबक
ज्वालामुखी के लावे से निर्मित मालवा की सियासत की गर्माहट से प्रदेश की राजनीति में अक्सर हलचल रहती है। संघ के इस गढ़ में भाजपा ने फिर परचम लहराया है। इंदौर, देवास, उज्जैन और रतलाम चारों नगर निगम की महापौर सीट और परिषद में भाजपा ने कब्जा जमाया।
भाजपा का नए चेहरे का गणित यहां काम कर गया। सनद रहे कि जनता ने युवा जोश पर ज्यादा भरोसा जताया है। स्थानीय विकास की प्राथमिकता में रोजगार को केंद्र में रखा है। जीत का मार्जिन बड़ा होना यही दर्शाता है। मालवा में जहां भाजपा संगठन और क्षत्रपों का रुतबा बढ़ा, वहीं कांग्रेस के स्टार प्रचारकों को छोड़ दें तो स्थानीय नेताओं की जमीन खिसकी है। तमाम कोशिशों के बावजूद वोटिंग प्रतिशत हर बार गिरना लोकतंत्र की सेहत के लिए अच्छे संकेत नहीं हैं। इसमें पार्टियां जो दावे करती हैं उन पर खरे नहीं उतरने की निराशा ज्यादा झलकती है।
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