कनाडिय़ा के गोपाल जोशी का शौक निराला है। कहते हैं- नई गाड़ी मैं ले नहीं सकता, इसलिए पुरानी को नई करके घूमता हूं। वे चार साल से इसी तरह जुगून बन घूम रहे हैं। रात में नौकरी पर निकलते हैं। दोपहिया गाड़ी से लेकर वे अपने शरीर और हेलमेट पर भी एलईडी लाइट्स लगा लेते हैं। ये ठीक उसी तरह लगती हैं, जैसे दीपावली पर लोग मकानों पर झालर लगाते हैं।
बच्चे नहीं बैठते गाड़ी पर गोपाल से जब पूछा कि घर वाले इस बारे में क्या कहते हैं तो कहना था कि मेरे बच्चे ही मेरी गाड़ी पर नहीं बैठते। उनका अलग शौक, अपना अलग। जब पूछा कि ऐसा क्यों करते हो? तो कहते हैं कि क्या करें, लोगों से अलग दिखना था। कुछ नया करने की सोची तो ऐसा करने लगा।
दूर से दिख जाती गाड़ी, हादसे की आशंका नहीं गोपाल जिस बाइक पर बाहर निकलते हैं, उसकी टेल लाइट खराब है। ऐसे में वे शरीर और हेलमेट पर एलईडी लाइट्स लगा लेते हैं, जिससे दूर से ही उनकी गाड़ी पीछे से आने वाले वाहनों को नजर आ जाती है। शरीर पर झालर टांग लेने से आसपास की सडक़ों से आने वाले वाहन चालकों को भी वे दूर से ही दिख जाते हैं। गोपाल बताते हैं कि वाहन चालक खासकर बड़ी गाडिय़ों वाले मुझे देख लेते हैं और रफ्तार धीमी कर लेते हैं। इससे रात में किसी तरह के हादसे की आशंका भी खत्म हो जाती है।