नेहरू नगर के मनोज जायसवाल कामकाज से रिटायर्ड हो चुके हैं। खाली समय में बेसहारा बुजुर्गों की सेवा पर दोस्तों की मदद भी मिलने लगी है। जायसवाल आठ बरस से ऐसा काम कर रहे हैं। चार साल पहले खुदकुशी करने जा रही युवती को समझाइश देकर घर पहुंचाने का काम किया था। उस युवती की पीढ़ा सुनने के बाद मनोज का दिल पसीज गया था। इसके बाद उन्होंने तय किया कि अब यही काम करना है।
दोस्त भी करते हैं मदद
संस्था सेवा आश्रय के सबकुछ वे ही हैं। कुछ दोस्त जरूर हैं, जो मदद कर देते हैं। उनके पास इतना समय तो नहीं है कि वे साथ काम कर पाएं लेकिन सामान आदि में जो भी मदद चाहिए होती है वह पहुंचा देते हैं। मनोज चार बच्चों के पिता हैं और तीन की शादी कर चुके हैं। उनके दो बेटे सिविल इंजीनियर हैं और बेटियों की शादी हो चुकी है।
मनोज बुजुर्गों के लिए खाना, बीमारी में उपचार कराना, कपड़े मुहैया कराने का काम करते हैं। वह सरकारी तंत्र का इस्तेमाल कर किसी भी तरह से मदद कर ही देते हैं। मनोज सुबह घर से निकलते हैं और जो बुजुर्ग असहाय नजर आता है, उसकी मदद में लग जाते हैं। मनोज बताते हैं कि हमें किसी को दिखाना नहीं कि हम क्या कर रहे हैं, इसलिए मनोज इस काम पर ज्यादा बात भी नहीं करते हैं। इतना जरूर कहते हैं कि सेवा का ढिंढोरा नहीं पीटना है। वह निराश्रित व्यक्ति जिन्हें कपड़े, खाने, बीमारी की दवाईयां या किसी भी प्रकार की सेवा की आवश्यकता हो वहां पर एक फोन पर पहुंच जाते हैं। लोग आवश्यकता होने पर उन्हें 9827093796 या 8770778796 पर संपर्क कर सकते हैं।