इधर, डही में अब तक 34 मिलीमीटर यानी डेढ़़ इंच ही बारिश हुई है। जबकि यह बारिश बोवनी लायक भी नहीं हुई है। बोवनी के लिए कम से कम 100 मिलीमीटर यानी 4 इंच बारिश की आवश्यकता होती है। ऐसे में बारिश के मामले में डही काफी पिछड़ चुका है और इस कारण से आलम यह है कि क्षेत्र में अब तक 70 फीसदी खेतों में बोवनी कार्य ही नहीं हो पाया है। हालांकि यह तय है कि मंगलवार को जिस तरह से दिन भर बूंदाबांदी के साथ मौसम व जमीन में ठंडक घुली है उससे किसान अब खेतों की ओर रुख करते हुए शेष बोवनी कार्य निपटाने में जुटेंगे। इस मामले में कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अभी किसान बोवनी नहीं करें जब तक कि 4 इंच बारिश में न हो जाए और खेत में पर्याप्त नमी न आ जाए।
उल्लेखनीय है कि पिछले एक सप्ताह से बादल छाए रहने से धूप निकलने के समय में भी कमी आई है। जहां मई-जून में रोजाना आठ से दस घंटे तक धूप निकल रही थी वहीं जुलाई में यह चार से पांच घंटे तक रह गई है। मंगलवार को तो पूरे दिन धूूप निकली ही नहीं। आटोमैटिक वेदर सिस्टम में मंगलवार को धूप निकलना दर्ज नहीं हुआ। वर्षा हो या न हो रोजाना बादल छाए रहने से व सूरज की लुकाछुपी चलने के कारण मौसम में आए परिवर्तन का असर स्वास्थ्य पर भी देखा जा रहा है। अस्पताल में वायरल फीवर के मरीज बढऩे लगे हैं। अधिक समय तक बादल छाए रहने से फसलों पर भी कहीं-कहीं इल्ली का प्रकोप नजर आ रहा है।
उल्लेखनीय है कि पिछले एक सप्ताह से बादल छाए रहने से धूप निकलने के समय में भी कमी आई है। जहां मई-जून में रोजाना आठ से दस घंटे तक धूप निकल रही थी वहीं जुलाई में यह चार से पांच घंटे तक रह गई है। मंगलवार को तो पूरे दिन धूूप निकली ही नहीं। आटोमैटिक वेदर सिस्टम में मंगलवार को धूप निकलना दर्ज नहीं हुआ। वर्षा हो या न हो रोजाना बादल छाए रहने से व सूरज की लुकाछुपी चलने के कारण मौसम में आए परिवर्तन का असर स्वास्थ्य पर भी देखा जा रहा है। अस्पताल में वायरल फीवर के मरीज बढऩे लगे हैं। अधिक समय तक बादल छाए रहने से फसलों पर भी कहीं-कहीं इल्ली का प्रकोप नजर आ रहा है।