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शरीर दान में ये शहर है सबसे आगे, जब आप कर देते हैं अपना शरीर दान तो होता है ये परिणाम, जानिए इससे जुड़ी खास बातें

locationइंदौरPublished: Nov 15, 2017 05:19:00 pm

Submitted by:

Ashtha Awasthi

जानिए जब आप अपने शरीर का दान कर देते हैं तो उसके बाद क्या-क्या परिणाम होते हैं।

maut kay baad ka safa

maut kay baad ka safa

भोपाल। देहदान अपने आप में ही महादान माना जाता है। शरीर के उपयोगी अंग जैसे आंखों की कॉर्निया, लीवर, हड्डी, त्वचा, फेफड़े, गुर्दे, दिल, टिश्यू इत्यादि का दान करना अंगदान कहलाता है, जबकि अपना संपूर्ण शरीर मेडिकल प्रयोग या अध्ययन हेतु दान देने को देहदान कहते है। एक शोध के अनुसार एक व्यक्ति द्वारा किए गए अंगदान से 50 जरुरतमंद लोगों कि मदद हो सकती है, तो देहदान से चिकित्सा में विकास से पूरी मानव जाती लाभान्वित हो सकती है। हालही में भोपाल पहुंचे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने लोगों से अपील की है कि वे देहदान के लिये आगे आएं। उन्होंने लोगों को अंगदान की अहमियत बताते हुए कहा है कि अंगदान करके वे हजारों लोगों का जीवन बचा सकते हैं।

मध्य प्रदेश में इंदौर है सबसे आगे

बात अगर मध्य प्रदेश की करें तो देहदान को लेकर जागरुकता बढ़ाने के प्रयास लगातार जारी हैं, लेकिन सफलता केवल इंदौर को मिली है। बीते 3 सालों से यहां पर करीब 90 लोगों ने देहदान किया है, जबकि ग्वालियर और भोपाल में लोग अब तक अंधविश्वास में जकड़े हैं। इसके कारण यहां पिछले 20 सालों में केवल 7 लोग ही देहदान के लिए आगे आए हैं। जबलपुर में हालात में सुधार है, लेकिन यहां पास में नदी होने के कारण लावारिस मृत देह भी मेडिकल कॉलेज को पढ़ाई के लिए मिल जाती है, जबकि रीवा की स्थिति यह है कि हाल ही में 5 हजार रुपए देकर इंदौर मेडिकल कॉलेज से मृत देह खरीदी गई है।

ग्वालियर में हालात यह है कि पिछले बीस साल में केवल 7 लोगों ने देहदान किया है। हालांकि फार्म 184 लोग ले गए हैं, उनमें से 80 लोगों ने ही फार्म भरकर जमा किए लेकिन परेशानी यह है कि संबंधित व्यक्ति की मृत्यु के बाद परिजन पार्थिव शरीर ले जाने के लिए मेडिकल कॉलेज को सूचना ही नहीं देते हैं। यदि डॉक्टरों को पता चल जाए और वह संपर्क भी करें, तो परिजन यह कहकर इनकार कर देते हैं कि धार्मिक मान्यता के अनुसार यदि अंतिम संस्कार नहीं किया गया, तो उनके परिजन को मोक्ष नहीं मिलेगा। अब स्थिति यह है कि 2016-17 के बैच के लिए कोई मृत देह नहीं है।

 

अंगदान के बिना देश में हर वर्ष 5 लाख मौते होती है। भारत में हर वर्ष जितने अंगो की आवश्यकता होती है उनमें से केवल 4% ही उपलब्ध हो पाते है। विश्व स्वास्थ संगठन के अनुसार पश्चिमी देशों में 70-80% अंगदान होता है जबकि भारत में यह आंकड़ा सिर्फ़ 0.01% का है।

जानिए जब आप अपने शरीर का दान कर देते हैं तो उसके बाद क्या-क्या परिणाम होते हैं…


1- मृत शरीर की जांच

किसी भी डेड बॉडी का देहदान किए जाने से पहले उस डेड बॉडी की जांच की जाती है। जांच के दौरान यदि शरीर में HIV या हेपेटाइटिस जैसी फैलने वाली बीमारियों के वायरस मिलते हैं तो उस शव का इस्तेमाल नहीं किया जाता है।

2- गुप्त पहचान

जब भी मेडिकल कॉलेज में किसी भी स्टूडेंट्स को प्रैक्टिकल के लिए कोई भी बॉडी दी जाती है तो उन्हें डेड बॉडी का नाम व बैकग्राउंड नहीं बताया जाता है। मौत किस कारण से हुई है केवल इस बात की जानकारी जाहिर की जा सकती है लेकिन अन्य जानकारियों को पूरी तरह से गुप्त रखा जाता है।

3- फ्रीजर में रखी जाती है डेडबॉडी

बहुत बार ऐसा भी होता है कि डेडबॉडी के मिलते ही उसे प्लास्टिक बैग में लपेटकर फ्रीजर में जमा दिया जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि जमाने से शव अपनी सामान्य अवस्था में रहता है और खराब नहीं होता। शव को लेप लगाकर संरक्षित करने से टिशू कठोर हो जाते हैं। जबकि सर्जरी की प्रैक्टिस करने वाले स्टूडेंट्स को नरम टिशू वाले शव की जरूरत होती है। ऐसे में संरक्षित किए गए शव की जगह फ्रीजर में रखे गए शव का प्रयोग किया जाता है।

4- बनाई जाती है क्रैश टेस्टिंग डमी

देहदान करने के बाद डेड बॉडी का यूज क्रैश टेस्टिंग डमी बनाने के लिए भी किया जाता है। आपको बता दें कि किसी भी प्रकार की सेफ्टी डिवाइस बनाने के बाद उसकी टेस्टिंग करने के लिए क्रैश डमी का प्रयोग किया जाता है। इस डमी को बनाने के लिए डेड बॉडी की जरूरत होती है। कृत्रिम रूप से सिर बनाना थोड़ा कठिन होता है। इसलिए डेडबॉडी का प्रयोग किया जाता है।

5- अलग-अलग जगह भेजी जाती है डेडबॉडी

अगर आपने किसी ब्रोकर की मदद से अपनी बॉडी का देहदान किया है तो आपकी डेड बॉडी किसी भी जगह पर भेजी जा सकती है। कई ऐसी एजेंसियां भी हैं जो लोगों के शरीर दान में लेकर उन्हें जरूरत के हिसाब से अलग-अलग जगह भेज देती है।


6- संस्थान उठाता है अंतिम संस्कार का खर्चा

किसी भी डेड बॉडी का देहदान करते समय यह निर्भर करता है कि आप किस संस्थान के जरिए देहदान कर रहे हैं। अधिकतर संस्थान देहदान के बाद सामान्य रीति-रिवाजों का खर्चा खुद ही उठाते हैं। इसके लिए देहदान किए जाने वाले व्यक्ति के परिजनों से किसी भी प्रकार की राशि नहीं ली जाती है।

7- लेप लगाकर रखी जाती है डेडबॉडी

किसी भी डेडबॉडी को खास लेप लगाकर संभाल के रख लिया जाता है। ये लेप हर डेडबॉडी में नहीं लगाया जाता है और न ही हर डेडबॉडी को संभाल के रखा जाता है। किसी भी शव को लेप लगाकर रखने के बाद शव के शरीर का वजन करीब 50 किग्रा बढ़ जाता है। ऐसे में अमूमन कम वजन वाले शरीर को रखने के लिए चुना जाता है।

8- कर दिया जाता है प्लास्टिनेशन

इस तरीके से भी शरीर को सुरक्षित रख सकते हैं। ऐसा कर के शव को म्यूजियम या किसी मेडिकल एग्जीबिशन पर प्रदर्शित करने के लिए रख दिया जाता है। इस प्रक्रिया में शरीर में बहने वाले तरल पदार्थ को कुछ खास पदार्थों से बदलकर शरीर को इस तरह से जमा दिया जाता है कि वह प्लास्टिक का बना हुआ नजर आए।

9- शव भेजा दिया जाता है बॉडी फार्म

किसी भी शव के देहदान के बाद उसे बॉडी फार्म भी भेज दिया जाता है। बॉडी फार्म वह जगह होती है जहां मृत शरीर के सड़ने और वापस प्रकृति में मिल जाने की प्रक्रिया के बारे में शोध किया जाता है।


10- संभाल के रखा जाती है हड्डियां

यदि मृत शरीर की हड्डियों में किसी तरह की खास विसंगति हो तो उसकी हड्डियों को भी शोध वगैरह के लिए संरक्षित कर के रख लिया जाता है।

11- बेच दिया जाता है शव

देहदान को सबसे बड़ा दान तो माना जाता है लेकिन अगर डेडबॉडी गलत हाथों में चली गई तो इसे धंधे के रुप में भी प्रयोग किया जाता है।

12- आर्मी के भी काम आ सकती है डेडबॉडी

आर्मी के बहुत से हथियार, माइंस व सुरक्षा गैजेट्स की टेस्टिंग के लिए भी डेडबॉडी का इस्तेमाल किया जाता है। भारतीय सेना के द्वारा इस तरह के परीक्षण की कभी कोई खबर सामने नहीं आई है। लेकिन साल 2002 में अमेरिकी सेना के द्वारा एक लैंडमाइन के परीक्षण के दौरान मृत शरीरों का इस्तेमाल किए जाने की खबर आई थी, जिसका विरोध भी किया गया था।

मरने के बाद की कुछ खास बातें …

1- maut ke baad kya hoga in hindi

शरीर से जी निकल जाने के बाद वह एक विचित्र अवस्था में पड़ जाता है। घोर परिश्रम से थका हुआ आदमी जिस प्रकार कोमल शैय्या प्राप्त करते ही निद्रा में पड़ जाता है, उसी प्रकार मृतात्मा को जीवन भर का सारा श्रम उतारने के लिए एक निद्रा की आवश्यकता होती है। इस नींद से जीव को बड़ी शांति मिलती है और आगे का काम करने के लिए शक्ति प्राप्त कर लेता है। मरते ही नींद नहीं आ जाती, वरन इसमें कुछ देर लगती है। प्रायः एक महीना तक लग जाता है। कारण यह है कि प्राणांत के बाद कुछ समय तक जीवन की वासनाएँ प्रौढ़ रहती हैं और वे धीरे-धीरे ही निर्बल पड़ती हैं। कड़ा परिश्रम करके आने पर हमारे शरीर का रक्त-संचार बहुत तीव्र रहता है और पलंग मिल जाने पर भी उतने समय तक जागते रहते हैं, जब फिर रक्त की गति धीमी न पड़ जाए। मृतात्मा स्थूल शरीर से अलग होने पर सूक्ष्मशरीर में प्रस्फुटित हो जाता है। यह सूक्ष्मशरीर ठीक स्थूल शरीर की ही बनावट का होता है।
maut ke baad ka manzar देखकर मृतक को बड़ा आश्चर्य लगता है कि मेरा शरीर कितना हल्का हो गया है, वह हवा में पक्षियों की तरह उड़ सकता है और इच्छा मात्र से चाहे जहाँ आ-जा सकता है। स्थूलशरीर छोड़ने के बाद वह अपने मृत शरीर के आस-पास ही मँडराता रहता है। मृत शरीर के आस-पास प्रियजनों को रोता-विलखता देखर वह उनसे कुछ कहना चाहता है या वापस पुराने शरीर में लौटना चाहता है, पर उसमें वह कृत्कार्य नहीं होता। एक प्रेतात्मा ने बताया है कि marne ke baad ki zindagi …‘‘मैं मरने के बाद बड़ी अजीव स्थिति में पड़ गया। स्थूलशरीर में और प्रियजनों में मोह होने के कारण मैं उसके संपर्क में आना चाहता था, पर लाचार था।

2- marne ke baad insaan kahan jata hai

सिद्ध योगियों का स्पष्ट कहना है कि काल की तरह जीवन भी असीम ओर अनंत है। जीवन का न तो कभी प्रांरभ होता है और न ही कभी अंत। लोग जिसे मृत्यु कहते हैं वह मात्र उस शरीर का अंत है जो प्रकृति केपांच तत्वों (पृथ्वी,जल,वायु,अग्री और आकाश) से मिलकर बना था। ऐसा माना जाता है कि मानव शरीर नश्वर है, जिसने जन्म लिया है उसे एक ना एक दिन अपने प्राण त्यागने ही पड़ते हैं. भले ही मनुष्य या कोई अन्य जीवित प्राणी सौ वर्ष या उससे भी अधिक क्यों ना जी ले लेकिन अंत में उसे अपना शरीर छोड़कर वापस परमात्मा की शरण में जाना ही होता है। यद्यपि इस सच से हम सभी भली-भांति परिचित हैं लेकिन मृत्यु के पश्चात जब शव को अंतिम विदाई दे दी जाती है तो ऐसे में आत्मा का क्या होता है यह बात अभी तक कोई नहीं समझ पाया है। एक बार अपने शरीर को त्यागने के बाद वापस उस शरीर में प्रदार्पित होना असंभव है इसीलिए मौत के बाद की दुनियां कैसी है यह अभी तक एक रहस्य ही बना हुआ है।

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