स्त्री रोग व प्रसूति विशेषज्ञ एसोसिएशन (एफओजीएसआई) के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. पीसी महापात्रा ने यह बात रविवार को ‘पत्रिका’ से चर्चा में कही। उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, भारत में एक लाख में पहले मातृ मृत्यु दर (आईएमआर) २५४ थी, जो अब घटकर 167 हो गई है। केरला और मणिपुर इसमें सबसे आगे हैं, जहां यह आंकड़ा50- 50 के करीब है। मप्र में अब भी आईएमआर 200 है। आंकड़ा कम होने का कारण घर की बजाय अस्पतालों में डिलीवरी की संख्या बढऩा है। इसके बाद भी देश में 13 फीसदी डिलीवरी असुरक्षित तरीके से हो रही हैं। हम हर माह आईएमआर का रिव्यू कर इसे कम करने के प्रयास करते हैं। यही व्यवस्था जिला स्तर पर कलेक्टरों को करना होगी। सरकारी अस्पतालों पर दबाव कम करने के लिए सरकार को निजी अस्पतालों में प्रोत्साहन राशि दो हजार से बढ़ाकर पांच हजार रुपए की जाना चाहिए।
आधुनिक तकनीकों पर हुए व्याख्यान
ऑर्गनाइजिंग प्रेसीडेंट डॉ. पूनम माथुर, डॉ. चंदन फाफरिया व डॉ. अनुपमा दवे ने बताया कि मप्र स्त्री रोग व प्रसूति विशेषज्ञ एसोसिएशन व इंदौर की महिला विशेषज्ञों के एएमपी ओजीएस आईओजीसीओएन 2017 का आयोजन एमजीएम मेडिकल कॉलेज व एमवायएच के तत्वावधान में होटल रेडिसन में किया गया। ऑर्गनाइजिंग सेक्रेटरी डॉ. ब्रजबाला तिवारी ने बताया कि अंतिम दिन देश-विदेश से आए विशेषज्ञों ने बताया कि बेहतर चिकित्सा सुविधाओं से महिलाओं की औसत आयु बढऩे के साथ ही रजोनिवृत्ति के बाद की समस्याओं जैसे हड्डी का गलना, पेशाब रोकने की असंयमितता भी बढ़ गई है। लेप्रोस्कोपी के क्षेत्र में हो रहे विकास व नई तकनीकों के बारे में भी व्याख्यान हुए। गर्भावस्था के दौरान गर्भ में शिशु को होने वाली बीमारी का पता लगाने वाले आधुनिक परीक्षणों पर भी चर्चा हुई।
ऑर्गनाइजिंग प्रेसीडेंट डॉ. पूनम माथुर, डॉ. चंदन फाफरिया व डॉ. अनुपमा दवे ने बताया कि मप्र स्त्री रोग व प्रसूति विशेषज्ञ एसोसिएशन व इंदौर की महिला विशेषज्ञों के एएमपी ओजीएस आईओजीसीओएन 2017 का आयोजन एमजीएम मेडिकल कॉलेज व एमवायएच के तत्वावधान में होटल रेडिसन में किया गया। ऑर्गनाइजिंग सेक्रेटरी डॉ. ब्रजबाला तिवारी ने बताया कि अंतिम दिन देश-विदेश से आए विशेषज्ञों ने बताया कि बेहतर चिकित्सा सुविधाओं से महिलाओं की औसत आयु बढऩे के साथ ही रजोनिवृत्ति के बाद की समस्याओं जैसे हड्डी का गलना, पेशाब रोकने की असंयमितता भी बढ़ गई है। लेप्रोस्कोपी के क्षेत्र में हो रहे विकास व नई तकनीकों के बारे में भी व्याख्यान हुए। गर्भावस्था के दौरान गर्भ में शिशु को होने वाली बीमारी का पता लगाने वाले आधुनिक परीक्षणों पर भी चर्चा हुई।
एमवाय अस्पताल में हर साल 70 मौत
एमवाय अस्पताल के स्त्री रोग विभाग के एचओडी डॉ. नीलेश दलाल ने बताया कि एमवायएच में प्रदेश में सबसे ज्यादा औसतन रोज 50 से 60 डिलीवरी होती हैं। कई बार यह आंकड़ा 90 तक पहुंच जाता है। आईएमआर कम करने के लिए डॉक्टरों की टीम लगातार काम करते हुए अपडेट व फॉलोअप करती है। विभाग के डॉ. अविनाश पटवारी ने बताया कि विभाग में 30 फीसदी डिलीवरी ऑपरेशन से हो रही हैं। ऐसे में निजी अस्पतालों में भी सिजेरियन का आंकड़ा बढऩा स्वभाविक है। अस्पताल में ही हर माह 5-6 केस आईएमआर के होते हैं, यानी साल में यह आंकड़ा 70 के करीब होता है।
एमवाय अस्पताल के स्त्री रोग विभाग के एचओडी डॉ. नीलेश दलाल ने बताया कि एमवायएच में प्रदेश में सबसे ज्यादा औसतन रोज 50 से 60 डिलीवरी होती हैं। कई बार यह आंकड़ा 90 तक पहुंच जाता है। आईएमआर कम करने के लिए डॉक्टरों की टीम लगातार काम करते हुए अपडेट व फॉलोअप करती है। विभाग के डॉ. अविनाश पटवारी ने बताया कि विभाग में 30 फीसदी डिलीवरी ऑपरेशन से हो रही हैं। ऐसे में निजी अस्पतालों में भी सिजेरियन का आंकड़ा बढऩा स्वभाविक है। अस्पताल में ही हर माह 5-6 केस आईएमआर के होते हैं, यानी साल में यह आंकड़ा 70 के करीब होता है।