किताबों से लेकर खाना तक मुफ्त सरकारी स्कूलों की स्थिति बदतर होती जा रही है, इसलिए कई सरकारी स्कूलों का संवेलियन किया जा रहा है। बच्चों को स्कूल तक बुलाने के लिए पाठ्य पुस्तकें देने से लेकर खाना तक खिलाया जा रहा है, फिर भी स्थिति में सुधार नहीं हो रहा।
हर साल करोड़ों खर्च शिक्षा विभाग द्वारा हर साल प्रदेश के हजारों सरकारी स्कूलों के संचालन में करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं, फिर भी सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर गिरता जा रहा है।
ये हैं उदाहरण -इंदौर शिक्षा विभाग में 99 फीसदी शिक्षक और अफसरों के बच्चे सरकारी स्कूलों की जगह निजी स्कूलों में शिक्षा प्राप्त कर रहे हंै। पंकज शर्मा प्राथमिक विद्यालय पालिया में अध्यापक हैं। इनकी दो बेटियां हैं। धारिका किड्स कॉलेज में 10 वीं की पढ़ाई कर रही है और श्री 5वीं कक्षा केंद्रीय विद्यालय क्रमांक दो में है।
-ललित पारिख माध्यमिक विद्यालय गोम्मटगिरि में सहायक शिक्षक हैं। इनकी बेटी काजल सेंट्रल स्कूल में और बेटा संकल्प उड़ान पब्लिक स्कूल में है।
-अशोक मालवीय प्राथमिक विद्यालय आमला झिरी में हैं। इनका बेटा अनुज केंद्रीय विद्यालय में 11वीं का छात्र है।
वर्जन…
सरकारी स्कूलों में बेहतर सुविधा दी जा रही है। इसके साथ ही कई योजनाएं भी चल रही हैं। सभी को अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में भ्ेाजना चाहिए, लेकिन यह पालकों का व्यक्तिगत निर्णय है। विभाग कुछ नहीं कर सकता।
सीके शर्मा, जिला शिक्षा अधिकारी
-अशोक मालवीय प्राथमिक विद्यालय आमला झिरी में हैं। इनका बेटा अनुज केंद्रीय विद्यालय में 11वीं का छात्र है।
वर्जन…
सरकारी स्कूलों में बेहतर सुविधा दी जा रही है। इसके साथ ही कई योजनाएं भी चल रही हैं। सभी को अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में भ्ेाजना चाहिए, लेकिन यह पालकों का व्यक्तिगत निर्णय है। विभाग कुछ नहीं कर सकता।
सीके शर्मा, जिला शिक्षा अधिकारी