साधक सिर्फ ध्यान की बातें सुनेंगे
आयोजन समिति प्रमुख डॉ. नेमनाथ जैन, रमेश भंडारी ने बताया कि सभी ४०० साधकों ने मोबाइल जमा करा दिए हैं। कोई भी 15 अगस्त की रात तक वार्तालाप नहीं करेगा। ये साधक सिर्फ ध्यान की बातें सुनेंगे। अपनी कोई विशेष जिज्ञासा है तो पर्ची लिखकर संतों या कार्यकर्ताओं को देंगे। अजमेर, जयपुर, दिल्ली, मुंबई, बेंग्लूरु, भोपाल, सागर, उज्जैन, रतलाम, धार, पुणे, चंडीगढ़, चेन्नई, घाटकोपर आदि के साधक हिस्सा ले रहे हैं। 400 शिविरार्थियों में 195 महिलाएं हैं। १० शिविरार्थी डबल पीजी, एमफिल, पीएचडी किए हुए हैं।
आयोजन समिति प्रमुख डॉ. नेमनाथ जैन, रमेश भंडारी ने बताया कि सभी ४०० साधकों ने मोबाइल जमा करा दिए हैं। कोई भी 15 अगस्त की रात तक वार्तालाप नहीं करेगा। ये साधक सिर्फ ध्यान की बातें सुनेंगे। अपनी कोई विशेष जिज्ञासा है तो पर्ची लिखकर संतों या कार्यकर्ताओं को देंगे। अजमेर, जयपुर, दिल्ली, मुंबई, बेंग्लूरु, भोपाल, सागर, उज्जैन, रतलाम, धार, पुणे, चंडीगढ़, चेन्नई, घाटकोपर आदि के साधक हिस्सा ले रहे हैं। 400 शिविरार्थियों में 195 महिलाएं हैं। १० शिविरार्थी डबल पीजी, एमफिल, पीएचडी किए हुए हैं।
मानव जीवन मुक्ति की साधना के लिए है मानव जीवन मुक्ति की साधना के लिए है। आज इनसान भौतिक सुविधाओं के जाल में उलझकर भटक रहा है, जिस प्रकार सर्प के विष को शरीर के बिंदु पर केंद्रित कर निकाला जाता है, ठीक उसी तरह इंसान को भी पूरी आसक्ति को एक जगह केंद्रित करना जरूरी है। आज समाज में बहुत कठिनाई है। हर किसी को पदाधिकारी होना है। आधुनिकता की अंधी दौड़ में अपनों को पीछे छोडक़र पराया करने का खमियाजा आज अधिकांश एकल परिवार भोग रहे हैं। असुरक्षा की भावना सबमें बढ़ रही है और संस्कारों का अनुपात कम हो रहा है। इस सबका एक ही उपाय है ध्यान।