इंदौर

10 राज्यों के 400 साधक मौन धारण कर सीख रहे गंभीर ध्यान

दही के मंथन से मक्खन निकाला जा सकता हैं, इसी प्रकार ध्यान योग साधना से मानव को जीवन के सच्चे मूल्य व उद्देश्य का आभास कराया जा सकता हैं।

इंदौरAug 14, 2017 / 03:27 pm

amit mandloi

ध्यान शिविर

इंदौर. शहर में गंभीर ध्यान शिविर का आयोजन बड़े पैमाने पर हो रहा है। खेल प्रशाल परिसर में आयोजन को आचार्य डॉ. शिवमुनि के सान्निध्य में 12 संतों एवं 5 साध्वियां अंजाम दे रहे हैं। दस राज्यों के मौन व्रतधारी 400 ध्यान साधक हिस्सा ले रहे हैं।
रविवार को शिविर के दूसरे दिन डॉ. शिवमुनि ने कहा कि मानव में सही ढंग से जीवन जीने की प्यास होना चाहिए। मानव में जीने की कल्पना या प्यास जगाने का काम संत कर सकते हैं। आध्यात्म, ध्यान, ज्ञान व परोपरकारी कार्य की प्यास जगाने के लिए मैं यहां आया हूं। दही के मंथन से मक्खन निकाला जा सकता हैं, इसी प्रकार ध्यान योग साधना से मानव को जीवन के सच्चे मूल्य व उद्देश्य का आभास कराया जा सकता हैं। धर्म हमारे जीने, बोलने, कर्म, सोच और व्यवहार में झलकना चाहिए।
साधक सिर्फ ध्यान की बातें सुनेंगे
आयोजन समिति प्रमुख डॉ. नेमनाथ जैन, रमेश भंडारी ने बताया कि सभी ४०० साधकों ने मोबाइल जमा करा दिए हैं। कोई भी 15 अगस्त की रात तक वार्तालाप नहीं करेगा। ये साधक सिर्फ ध्यान की बातें सुनेंगे। अपनी कोई विशेष जिज्ञासा है तो पर्ची लिखकर संतों या कार्यकर्ताओं को देंगे। अजमेर, जयपुर, दिल्ली, मुंबई, बेंग्लूरु, भोपाल, सागर, उज्जैन, रतलाम, धार, पुणे, चंडीगढ़, चेन्नई, घाटकोपर आदि के साधक हिस्सा ले रहे हैं। 400 शिविरार्थियों में 195 महिलाएं हैं। १० शिविरार्थी डबल पीजी, एमफिल, पीएचडी किए हुए हैं।
मानव जीवन मुक्ति की साधना के लिए है

मानव जीवन मुक्ति की साधना के लिए है। आज इनसान भौतिक सुविधाओं के जाल में उलझकर भटक रहा है, जिस प्रकार सर्प के विष को शरीर के बिंदु पर केंद्रित कर निकाला जाता है, ठीक उसी तरह इंसान को भी पूरी आसक्ति को एक जगह केंद्रित करना जरूरी है। आज समाज में बहुत कठिनाई है। हर किसी को पदाधिकारी होना है। आधुनिकता की अंधी दौड़ में अपनों को पीछे छोडक़र पराया करने का खमियाजा आज अधिकांश एकल परिवार भोग रहे हैं। असुरक्षा की भावना सबमें बढ़ रही है और संस्कारों का अनुपात कम हो रहा है। इस सबका एक ही उपाय है ध्यान।
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