इंदौर में ‘भाई’ से मुलाकात
अभी तक के कार्यक्रम के अनुसार इंदौर में वह बीजेपी के 4 बड़े नेताओं से मिलेंगे। जिनमें पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, बीजेपी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, सांसद शंकर लालवानी और विधायक रमेश मेंदोला से मिलेंगे। इंदौर में ज्योतिरादित्य सिंधिया और कैलाश विजयवर्गीय के बीच की मुलाकात काफी अहम है। इंदौर में कैलाश विजयवर्गीय को लोग ‘भाई’ बोलते हैं। वहीं, पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन को ताई बोलते हैं। सिंधिया दोनों से मिलेंगे। जबकि ज्योतिरादित्य सिंधिया को मध्यप्रदेश में महाराज कहा जाता है। सिंधिया इंदौर दौरे पर ताई और भाई से मुलाकात करेंगे।
अभी तक के कार्यक्रम के अनुसार इंदौर में वह बीजेपी के 4 बड़े नेताओं से मिलेंगे। जिनमें पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, बीजेपी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, सांसद शंकर लालवानी और विधायक रमेश मेंदोला से मिलेंगे। इंदौर में ज्योतिरादित्य सिंधिया और कैलाश विजयवर्गीय के बीच की मुलाकात काफी अहम है। इंदौर में कैलाश विजयवर्गीय को लोग ‘भाई’ बोलते हैं। वहीं, पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन को ताई बोलते हैं। सिंधिया दोनों से मिलेंगे। जबकि ज्योतिरादित्य सिंधिया को मध्यप्रदेश में महाराज कहा जाता है। सिंधिया इंदौर दौरे पर ताई और भाई से मुलाकात करेंगे।
धुर विरोधी रहे हैं सिंधिया और कैलाश
दरअसल, राजनीति से अलग एमपी क्रिकेट एसोसिएशन पर कब्जे को लेकर भी ज्योतिरादित्य सिंधिया और कैलाश विजयवर्गीय भिड़ते रहे हैं। 2010 में एमपीसीए के चुनाव के दौरान ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कैलाश विजयवर्गीय को 10 वोट से हराया था। हार के बाद कैलाश ने सिंधिया को उस वक्त छोटा नेता बताया था। उसके बाद दोनों खुद एक दूसरे के खिलाफ चुनाव नहीं लड़ते थे पर अपने-अपने समर्थक नेताओं को जिताने के लिए दोनों नेता कड़ी मशक्कत करते थे। अब दोनों ही नेता भाजपा में हैं ऐसे में इस मुलाकात को लेकर सुर्खियां हैं।
दरअसल, राजनीति से अलग एमपी क्रिकेट एसोसिएशन पर कब्जे को लेकर भी ज्योतिरादित्य सिंधिया और कैलाश विजयवर्गीय भिड़ते रहे हैं। 2010 में एमपीसीए के चुनाव के दौरान ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कैलाश विजयवर्गीय को 10 वोट से हराया था। हार के बाद कैलाश ने सिंधिया को उस वक्त छोटा नेता बताया था। उसके बाद दोनों खुद एक दूसरे के खिलाफ चुनाव नहीं लड़ते थे पर अपने-अपने समर्थक नेताओं को जिताने के लिए दोनों नेता कड़ी मशक्कत करते थे। अब दोनों ही नेता भाजपा में हैं ऐसे में इस मुलाकात को लेकर सुर्खियां हैं।
2002 के बाद पहली बार बदला अंदाज
ज्योतिरादित्य सिंधिया 2002 से राजनीति में। अभी तक ज्योतिरादित्य सिंधिया की राजनीति में कोई व्यक्तिगत दुश्मन नहीं है। सिंधिया खुशी या गम को छोड़कर कभी किसी नेता से मुलाकात करने नहीं जाते थे। ये पहला मौका है जब ज्योतिरादित्य सिंधिया एक साथ भाजपा के कई बड़े नेताओं के घर पर मुलाकात करने पहुंचेंगे। हालांकि इस मुलाकात को भी उपचुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है।
ज्योतिरादित्य सिंधिया 2002 से राजनीति में। अभी तक ज्योतिरादित्य सिंधिया की राजनीति में कोई व्यक्तिगत दुश्मन नहीं है। सिंधिया खुशी या गम को छोड़कर कभी किसी नेता से मुलाकात करने नहीं जाते थे। ये पहला मौका है जब ज्योतिरादित्य सिंधिया एक साथ भाजपा के कई बड़े नेताओं के घर पर मुलाकात करने पहुंचेंगे। हालांकि इस मुलाकात को भी उपचुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है।
कैलाश के पास है सांवेर सीट की जिम्मेदारी
सांवेर विधानसभा सीट पर उपचुनाव होना है। यहां भाजपा से ज्यादा ज्योतिरादित्य सिंधिया की प्रतिष्ठा दांव पर है। ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबी नेता तुलसी सिलावट यहां से संभावित उम्मीदवार हैं। वहीं, भाजपा ने मालवा अंचल की जिन पांच सीटों पर चुनाव होना है उसकी जिम्मेदारी कैलाश विजयवर्गीय को सौंपी है। सांवेर विधानसभा सीट की भी जिम्मेदारी कैलाश विजयर्गीय के पास है।
सांवेर विधानसभा सीट पर उपचुनाव होना है। यहां भाजपा से ज्यादा ज्योतिरादित्य सिंधिया की प्रतिष्ठा दांव पर है। ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबी नेता तुलसी सिलावट यहां से संभावित उम्मीदवार हैं। वहीं, भाजपा ने मालवा अंचल की जिन पांच सीटों पर चुनाव होना है उसकी जिम्मेदारी कैलाश विजयवर्गीय को सौंपी है। सांवेर विधानसभा सीट की भी जिम्मेदारी कैलाश विजयर्गीय के पास है।