बहुत कम समय में भाजपा की राजनीति का बड़ा सफर तय करने वालों में प्रदेश भाजपा के संगठन महामंत्री रहे अरविंद मेनन का नाम भी है। २००३ में वे इंदौर जिले के संगठन मंत्री बने थे तो देखते ही देखते वे प्रदेश भाजपा के संगठन महामंत्री जैसे महत्वपूर्ण पद पर पहुंच गए। दो साल पहले संघ की नाराजगी के चलते भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने उनका तबादला दिल्ली के दीनदयाल भवन में कर दिया।
उनको देशभर के जिलों में कार्यालय बनाए जाने की जवाबदारी दी गई है, लेकिन पिछले कुछ समय वे मध्यप्रदेश की राजनीति में फिर से सक्रिय नजर आ रहे हैं। कल शाम को मेनन दिल्ली से इंदौर पहुंचे। विमानतल पर विधायक रमेश मेंदोला और आईडीए अध्यक्ष शंकर लालवानी ने उनकी अगवानी की। वहीं, मेनन और मेंदोला की काफी देर तक अलग से चर्चा हुई। उसके बाद वे महाकाल दर्शन के लिए उज्जैन रवाना हो गए। वहां से लौटने के बाद वे बायपास पर एक शादी समारोह में भाग लेने पहुंचे, जिसके बाद कुछ नेताओं से उनकी गुप्त मंत्रणा हुई।
मेनन एक पखवाड़े पहले भी इंदौर आए थे तो पिछले दो माह में वे भोपाल और दतिया के भी कई बार गुप्त दौरे कर चुके हैं। चर्चा तो ये भी है कि इन दिनों प्रदेश के संसदीय कार्य मंत्री नरोत्तम मिश्र से उनकी खासी घुट रही है। मिश्र को बनाने में मेनन ने पूरी ताकत लगा रखी है। उनके जरिए प्रदेश में एक बार अपनी पकड़ मजबूत करना चाहते हैं। साथ ही विधानसभा चुनाव को देखते हुए वे प्रदेश की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी चाहते हैं जिसके चलते प्रभारी भी बनने की इच्छा रखते हैं।
मेनन एक पखवाड़े पहले भी इंदौर आए थे तो पिछले दो माह में वे भोपाल और दतिया के भी कई बार गुप्त दौरे कर चुके हैं। चर्चा तो ये भी है कि इन दिनों प्रदेश के संसदीय कार्य मंत्री नरोत्तम मिश्र से उनकी खासी घुट रही है। मिश्र को बनाने में मेनन ने पूरी ताकत लगा रखी है। उनके जरिए प्रदेश में एक बार अपनी पकड़ मजबूत करना चाहते हैं। साथ ही विधानसभा चुनाव को देखते हुए वे प्रदेश की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी चाहते हैं जिसके चलते प्रभारी भी बनने की इच्छा रखते हैं।
कहीं मिश्र के लिए लाबिंग तो नहीं?
सांसद नंदकुमार चौहान को प्रदेश भाजपा अध्यक्ष पद से हटाए जाने की कवायद तो कुछ माह से चल रही है। इसके लिए केंद्रीय मंत्री नरेंद्रसिंह तोमर व प्रदेश के मंत्री लालसिंह आर्य का नाम चल रहा था, लेकिन संसदीय कार्यमंत्री नरोत्तम मिश्र का नाम दमदारी से आ गया। उस पर विरोध की राजनीति भी शुरू हो गई। मिश्र के मजबूत होने के पीछे की कहानी में मेनन के जरिए राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से अच्छे संबंध भी बताए जा रहे हैं। बताते हैं कि मेनन अपने समर्थकों के जरिए माहौल बनाना चाहते हैं। चर्चा तो ये भी है कि प्रदेश में आज भी आधे से ज्यादा जिला अध्यक्ष पद पर उनके समर्थक हैं, उनमें इंदौर नगर अध्यक्ष कैलाश शर्मा भी एक हैं। कुछ समय से १६ जिलों में अध्यक्षों को हटाए जाने की भी तैयारी की जा रही है। मेनन की बेचैनी की एक वजह ये भी बताई जा रही है ।
सांसद नंदकुमार चौहान को प्रदेश भाजपा अध्यक्ष पद से हटाए जाने की कवायद तो कुछ माह से चल रही है। इसके लिए केंद्रीय मंत्री नरेंद्रसिंह तोमर व प्रदेश के मंत्री लालसिंह आर्य का नाम चल रहा था, लेकिन संसदीय कार्यमंत्री नरोत्तम मिश्र का नाम दमदारी से आ गया। उस पर विरोध की राजनीति भी शुरू हो गई। मिश्र के मजबूत होने के पीछे की कहानी में मेनन के जरिए राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से अच्छे संबंध भी बताए जा रहे हैं। बताते हैं कि मेनन अपने समर्थकों के जरिए माहौल बनाना चाहते हैं। चर्चा तो ये भी है कि प्रदेश में आज भी आधे से ज्यादा जिला अध्यक्ष पद पर उनके समर्थक हैं, उनमें इंदौर नगर अध्यक्ष कैलाश शर्मा भी एक हैं। कुछ समय से १६ जिलों में अध्यक्षों को हटाए जाने की भी तैयारी की जा रही है। मेनन की बेचैनी की एक वजह ये भी बताई जा रही है ।