पार्सल भेजने वाले एजेंट अखेंद्र मल्हार ने बताया कि १३ दिसंबर को कामाख्या एक्सप्रेस से कामाख्या के लिए करीब ७ लाख रुपए की ड्राय फिश भेजी थी। कुल १६ बैग ट्रेन १९३०५ इंदौर-कामाख्या साप्ताहिक ट्रेन के पिछले एसएलआर कोच में लोड किया गया। इस कोच की कैपेसिटी ४ टन की है और १६ बंडल का वजन १० क्विंटल ८० था। यह माल राजेश गौड़ ने कामाख्या में शिवकुमार के लिए भेजा था। इसके अलावा इस एसएलआर में मिर्ची के ५२ बोरे भी रखे गए थे, जिन्हें किशनगंज में अनलोड किया जाना था। इसलिए इंदौर से ही इस एसएलआर को सील कर दिया गया था, ताकि किशनगंज में खोला जाए।
उज्जैन, लखनऊ में तोड़ी सील रेलवे सूत्रों के अनुसार इस ट्रेन के एसएलआर के एक बार सील होने पर इसे किशनगंज और कामाख्या स्टेशन ही खोला जाना था, लेकिन परस्पर प्रतियोगिता के चलते पहले उज्जैन और फिर लखनऊ में कोच की सील तोड़ी गई। मिर्ची तय समय पर अपने स्टेशन पर पहुंच गई, लेकिन ड्राय फिश के 16 बैग बीच ही किसी ने उतार लिए।
18 दिन बाद भी रेलव खाली हाथ इधर, इस मामले में पार्सल कार्यालय से लेकर रेलमंत्री तक से शिकायत हो चुकी है, लेकिन १८ दिन बाद भी रेलवे अफसर खाली हाथ ही है। एक अफसर ने बताया कि ट्रेन ने जितने भी स्टेशन पर हॉल्ट लिया है, वहां पर जानकारी निकाली जा रही है। ऐसा काफी कम ही होता है कि माल तय जगह पर नहीं पहुंचे। शिकायतकर्ता राजेश गौड़ ने बताया कि इस मामले में रतलाम मंडल, पश्चिम रेलवे मुख्यालय और लखनऊ में शिकायत की है। अभी तक हमारे माल की जानकारी नहीं मिली है।