बाकी जगह एक व्यक्ति-एक पेंशन का नियम कोर्ट ने पहले ही पूछा है कि जब सभी विभागों में एक व्यक्ति को एक ही पेंशन दी जाती है तो फिर विधायकों, सांसदों और मंत्रियों को अधिक क्यों दी जाती है। इसके क्या नियम हैं? शासन की ओर से पूर्व में सुप्रीम कोर्ट के आदेश की प्रति पेश की थी, लेकिन कोर्ट ने उसे हालिया याचिका से अलग मुद्दा मानते हुए नोटिस जारी किए हैं। एडवोकेट पूर्वा जैन ने बताया, याचिका में मांग है कि जब देश में चपरासी से लेकर सुप्रीम कोर्ट के जज तक को सिर्फ एक पेंशन मिलती है तो सांसद, विधायक और मंत्रियों को एक से अधिक पेंशन देने का नियम क्यों है? यदि कोई विधायक बाद में सांसद भी बन जाए तो उसे विधायक और सांसद का वेतन और भत्ता भी मिलता है। राज्यसभा सांसद चुने जाने और केंद्रीय मंत्री बन जाने पर मंत्री का वेतन-भत्ता और विधायक-सांसद की पेंशन भी मिलती है। यदि कोई एक दिन का विधायक या सांसद बन जाए तो भी उसे पेंशन की पात्रता होती है।
समानता के कानून का हो पालन याचिका में बिंदु उठाया गया है कि समानता के अधिकार के कानून का पालन हो। जनप्रतिनिधियों की पेंशन के लिए भी शासकीय सेवकों की तरह गाइडलाइन बनाई जाए। कम से कम पांच साल का कार्यकाल अनिवार्य किया जाए। अंत में जिस पद पर रहें, उसी की पेंशन उन्हें मिले। मंत्री या निगम-मंडल में या अन्य सरकारी पदों पर रहते हुए वेतन के साथ पुराने पदों की पेंशन नहीं दी जाए, क्योंकि सरकार ने मार्च 2005 के बाद नियुक्त होने वाले सरकारी कर्मचारियों की पेंशन ही बंद कर दी है। याचिका में पेंशन निर्धारण को लेकर कमेटी बनाने की भी मांग की गई है।