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इंदौर बीआरटीएस तोडऩे पर तुले मंत्री सज्जन सिंह वर्मा, कहां जाएंगे 50 हजार यात्री

locationइंदौरPublished: Jan 15, 2019 11:00:22 am

Submitted by:

Uttam Rathore

हटाने से फायदे कम-नुकसान ज्यादा, पीडब्ल्यूडी मंत्री वर्मा के बयान पर मचा हल्ला, यात्रियों में असमंजस

Minister Sajjan Singh Verma

इंदौर बीआरटीएस तोडऩे पर तुले मंत्री सज्जन वर्मा, कहां जाएंगे 50 हजार यात्री

इंदौर.
प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने बयान दिया है कि बीआरटीएस को तोड़ दिया जाना चाहिए। शायद वे इस बात को नजरअंदाज कर गए कि पूरे देश में सबसे सफल बीआरटीएस इंदौर का ही है और इसके जरिए हर दिन 50 हजार से अधिक लोग यात्रा करते हैं। मंत्री की बात यदि मान भी ली जाए तो, सवाल यह है कि ये 50 हजार पैसेंजर कहां जाएंगे?
बीआरटीएस इंदौर को लेकर मंत्री के बयान के बाद इसके भविष्य को लेकर हल्ला मचा है। बीआरटीएस इंदौर को देश का सबसे सफल प्रोजेक्ट माना जाता है, क्योंकि यहां आई-बस के लिए डेडिकेटेड लेन है और इसके चलते यात्रा का समय काफी कम है। तकरीबन 12 किमी के कॉरिडोर की यात्रा पूरी करने में 40 मिनट का समय लगता है। यही कारण है कि आम यात्री निजी वाहनों को छोड़कर आई-बस से सफर करना ज्यादा पसंद करते हैं। बीआरटीएस की रेलिंग को तोडऩे के लिए मुहिम भी चलीं और आंदोलन भी हुए, मगर सिटी बस कंपनी प्रबंधन और प्रशासन की इच्छाशक्ति के आगे सब नाकाम रहे। अदालती लड़ाइयां भी सिटी बस कंपनी ने ही जीतीं। अब जबकि प्रदेश के पीडब्ल्यूडी मंत्री इसे तोडऩे की बात कह रहें हैं, तो उन हजारों यात्रियों के मन में सवाल है कि इसके टूटने के बाद शहर की लोक परिवहन व्यवस्था का भविष्य क्या होगा?
होगा ट्रैफिक जाम, फंसेंगी बसें
बीआरटीएस बस लेन से आम वाहनों का गुजरना प्रतिबंधित है, इसीलिए बस को स्पीड मिल पाती है। रेलिंग को तोड़ दिया गया तो बसें भी आम वाहनों के बीच फंसेंगी और इनके आकार के चलते सड़क पर जाम भी लगेगा। इससे आम वाहनों को भी ज्यादा समय लगेगा और बसों की स्पीड भी कम होगी, जिससे यात्रा समय तीन गुना तक बढ़ जाएगा।
सभी तरह की सुविधाएं
बीआरटीएस पूरी तरह से ऑटोमैटिक है। बसें एसी हैं और बस व स्टॉप दोनों पर ऑटोमैटिक दरवाजे लगे हैं। ऑटोमैटिक सिस्टम से पैसेंजर की सुरक्षा तय होती है। वहीं एसी बस होने के बाद भी कम किराया लिए जाने से यात्रियों को फायदा भी होता है। इसके अलावा बस स्टॉप पर वाई-फाई, ऑटोमैटिक टिकिट वेंडिंग, एटीएम, फूड एटीएम, एलईडी स्क्रीन से इंफोर्मेशन सिस्टम भी दिया जा रहा है।
तकरीबन दो सौ करोड़ हुआ है खर्च
जेएनयूआरएम प्रोजेक्ट में वल्र्ड बैंक की सहायता से बीआरटीएस का निर्माण 2013 में हुआ था। इसके निर्माण की लागत कुल मिलाकर 200 करोड़ के आसपास थी। वहीं दिल्ली, अहमदाबाद, भोपाल बीआरटीएस का निर्माण भी किया गया था, लेकिन इंदौर बीआरटीएस ही आज पूरी तरह से सफलता पूर्वक संचालित हो रहा है। इसके चलते इसे अवार्ड भी मिल चुका है। देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी इसकी मिसाल दी जाती है।
Indore BRTS
यूं समझें यात्रा का गणित
– बीआरटीएस कॉरिडोर की कुल लंबाई 11.45 किमी।
– कुल आई-बसों की संख्या 42
– कुल बस स्टॉप 21
– हर तीन मिनिट में उपलब्ध है बस
– बसों के रुकने का समय 10 सेकेंड
– बस की औसत गति 40 किमी प्रति घंटा
– हर दिन 50 हजार से ज्यादा यात्री करते हैं सफर
सबसे अधिक फायदा स्टूडेंट्स और नौकरीपेशा को
बीआरटीएस को सबसे ज्यादा फायदा स्टूडेंट्स और नौकरीपेशा व्यक्तियों को हो रहा है। ज्यादातर शैक्षणिक संस्थान और कोचिंग संस्थान बीआरटीएस पर या उससे पैदल दूरी पर हैं। ऐसे में अलसुबह पहले फेरे के साथ विद्याथियों का आवागमन शुरू हो जाता है। इसके अलावा बड़े कॉरपोरेट हाउस और व्यवसायिक काम्पलेक्स भी बीआरटीएस या उससे लगे हैं। नौकरीपेशा लोगों के लिए भी आवागमन का सुगम साधन है। इसके टूटने के बाद इनकी मुश्किलें बढ़ेंगी।
बर्बाद हो जाएंगे साढ़े आठ करोड़
बीआरटीएस की डिजाइन इस तरह से है कि बस स्टॉप बीच में बने हैं। हर बस स्टॉप का खर्च करीब 40 लाख आया था। रेलिंग तोडऩे के बाद बसें बीच में नहीं चल पाएंगी और ट्रैफिक जाम से बचने के लिए बीच में बने बस स्टॉप तोडऩे पड़ेंगे। इससे साढ़े आठ करोड़ तो बर्बाद होंगे ही, साथ ही किनारे नए बस स्टॉप बनाने पर खर्च अलग आएगा। इसके अलावा बसों की डिजाइन भी बदलवाना पड़ेगी, क्योंकि अभी इसके गेट बाईं तरफ खुलते हैं और बस स्टॉप के लेवल के हैं। साइड में बस स्टॉप आने पर दाईं तरफ खुलने वाले गेट का उपयोग होगा और ये ऑटोमैटिक भी नहीं हो पाएंगे।
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