बीआरटीएस बस लेन से आम वाहनों का गुजरना प्रतिबंधित है, इसीलिए बस को स्पीड मिल पाती है। रेलिंग को तोड़ दिया गया तो बसें भी आम वाहनों के बीच फंसेंगी और इनके आकार के चलते सड़क पर जाम भी लगेगा। इससे आम वाहनों को भी ज्यादा समय लगेगा और बसों की स्पीड भी कम होगी, जिससे यात्रा समय तीन गुना तक बढ़ जाएगा।
बीआरटीएस पूरी तरह से ऑटोमैटिक है। बसें एसी हैं और बस व स्टॉप दोनों पर ऑटोमैटिक दरवाजे लगे हैं। ऑटोमैटिक सिस्टम से पैसेंजर की सुरक्षा तय होती है। वहीं एसी बस होने के बाद भी कम किराया लिए जाने से यात्रियों को फायदा भी होता है। इसके अलावा बस स्टॉप पर वाई-फाई, ऑटोमैटिक टिकिट वेंडिंग, एटीएम, फूड एटीएम, एलईडी स्क्रीन से इंफोर्मेशन सिस्टम भी दिया जा रहा है।
जेएनयूआरएम प्रोजेक्ट में वल्र्ड बैंक की सहायता से बीआरटीएस का निर्माण 2013 में हुआ था। इसके निर्माण की लागत कुल मिलाकर 200 करोड़ के आसपास थी। वहीं दिल्ली, अहमदाबाद, भोपाल बीआरटीएस का निर्माण भी किया गया था, लेकिन इंदौर बीआरटीएस ही आज पूरी तरह से सफलता पूर्वक संचालित हो रहा है। इसके चलते इसे अवार्ड भी मिल चुका है। देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी इसकी मिसाल दी जाती है।
– बीआरटीएस कॉरिडोर की कुल लंबाई 11.45 किमी।
– कुल आई-बसों की संख्या 42
– कुल बस स्टॉप 21
– हर तीन मिनिट में उपलब्ध है बस
– बसों के रुकने का समय 10 सेकेंड
– बस की औसत गति 40 किमी प्रति घंटा
– हर दिन 50 हजार से ज्यादा यात्री करते हैं सफर
बीआरटीएस को सबसे ज्यादा फायदा स्टूडेंट्स और नौकरीपेशा व्यक्तियों को हो रहा है। ज्यादातर शैक्षणिक संस्थान और कोचिंग संस्थान बीआरटीएस पर या उससे पैदल दूरी पर हैं। ऐसे में अलसुबह पहले फेरे के साथ विद्याथियों का आवागमन शुरू हो जाता है। इसके अलावा बड़े कॉरपोरेट हाउस और व्यवसायिक काम्पलेक्स भी बीआरटीएस या उससे लगे हैं। नौकरीपेशा लोगों के लिए भी आवागमन का सुगम साधन है। इसके टूटने के बाद इनकी मुश्किलें बढ़ेंगी।
बीआरटीएस की डिजाइन इस तरह से है कि बस स्टॉप बीच में बने हैं। हर बस स्टॉप का खर्च करीब 40 लाख आया था। रेलिंग तोडऩे के बाद बसें बीच में नहीं चल पाएंगी और ट्रैफिक जाम से बचने के लिए बीच में बने बस स्टॉप तोडऩे पड़ेंगे। इससे साढ़े आठ करोड़ तो बर्बाद होंगे ही, साथ ही किनारे नए बस स्टॉप बनाने पर खर्च अलग आएगा। इसके अलावा बसों की डिजाइन भी बदलवाना पड़ेगी, क्योंकि अभी इसके गेट बाईं तरफ खुलते हैं और बस स्टॉप के लेवल के हैं। साइड में बस स्टॉप आने पर दाईं तरफ खुलने वाले गेट का उपयोग होगा और ये ऑटोमैटिक भी नहीं हो पाएंगे।