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डेढ़ करोड़ के बजट में गंदे टॉयलेट, जमीन पर खाना, जिम्मेदार बोले- सब बढिय़ा है…

locationइंदौरPublished: Aug 12, 2018 02:20:58 pm

Submitted by:

amit mandloi

प्रदेशभर से आए खिलाडिय़ों में आवास, भोजन व्यवस्था को लेकर असंतोष

khel

डेढ़ करोड़ के बजट में गंदे टॉयलेट, जमीन पर खाना, जिम्मेदार बोले- सब बढिय़ा है…

इंदौर. शहर में चल रही राज्यस्तरीय शालेय खेल स्पर्धा बदइंतजामी का शिकार हो गई है। इसमें शामिल खिलाड़ी दिनभर मैदान में पसीना बहाकर लौटते हैं तो अच्छा भोजन तक नहीं मिल पाता। रात को सोने के लिए किए गए इंतजाम भी संख्या के लिहाज से नाकाफी हैं, इसके बावजूद अफसरों के अनुसार सबकुछ ठीक है।
स्पर्धा में इंदौर को खो-खो, सॉफ्टबॉल और कराते की मेजबानी मिली है। गुरुवार से शुरू हुई स्पर्धा 13 अगस्त तक चलेगी। इसमें इंदौर, भोपाल, छिंदवाड़ा, नर्मदापुरम, भोपाल, रीवा, शहडोल, जबलपुर संभाग के साथ आदिवासी विकास संभाग के करीब एक हजार खिलाड़ी हिस्सा ले रहे हैं। इनके साथ करीब १०० खेल अधिकारी भी हैं। इन्हें शारदा कन्या स्कूल छीपा बाखल, शारदा कन्या स्कूल बड़ा गणपति और सिख धर्मशाला में ठहराया गया। दोनों स्कूलों में बदइंतजामी पसरी है। सुबह टॉयलेट के लिए लंबी लाइन लगती है और नहाने के लिए दो से तीन घंटे इंतजार करना पड़ता है। यहां लगाए गए नगर निगम के अस्थायी शौचालय की भी सफाई नहीं हुई। शारदा कन्या स्कूल में ठहरे कई खिलाड़ी कुछ दूरी पर बने सुलभ कॉम्प्लेक्स का उपयोग करने को मजबूर हैं। सूत्रों के अनुसार, मप्र लोक शिक्षण संचालनालय को सालाना डेढ़ करोड़ रुपए बजट मिलता है, जो जिला से लेकर राष्ट्रीय स्पर्धा में खर्च करना होता है। इंदौर जिले को राज्य स्तरीय स्पर्धा के लिए कितनी राशि मिली अधिकारी इसकी जानकारी नहीं दे रहे।
जमीन पर बैठकर खा रहे खाना

खिलाडिय़ों के खाने की जिम्मेदारी संबंधित संभाग की रहती है। हालांकि जगह उपलब्ध कराने का जिम्मा स्थानीय विभाग का है। मालव कन्या स्कूल और धर्मशाला में खिलाडिय़ों को खाना खिलाने की कोई व्यवस्था ही नहीं की गई। लाइन में लगने पर बमुश्किल खाना जमीन पर बैठकर खाना पड़ रहा है।
हो रही है दिक्कत

आवास व्यवस्था के लिए अलग से राशि नहीं मिलने से खिलाडिय़ों को शासकीय भवनों में ही ठहराया जाता है। स्कूलों में टॉयलेट तो है, लेकिन नहाने के लिए स्थायी व्यवस्था नहीं होने से थोड़ी दिक्कत हो रही है।
रश्मि दीक्षित, जिला खेल अधिकारी
कमी नहीं दिखी

हम नहीं बता सकते स्पर्धा के लिए कितना बजट मिला है, लेकिन सभी जगह अच्छी व्यवस्था की गई है। मैं खुद हर जगह जाकर निरीक्षण कर चुका हूं। कहीं कोई कमी नजर नहीं आई।
सीके शर्मा, जिला शिक्षा अधिकारी
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