महू : पुराने के साथ ही नए भी करेंगे दावेदारी इस बार वोटरों के बीच पैठ रखने वाले नेताओं के साथ ही लंबे समय से पार्टी के लिए कार्य कर रहे नेता भी टिकट के लिए दावेदारी करने की तैयारी में हैं। भाजपा-कांग्रेस दोनों ही पार्टियों में इस बार कई ऐसे चेहरे हैं, जो पहली बार टिकट के लिए दावेदारी पेश करेंगे। हालांकि भाजपा से वर्तमान विधायक के ही दोबारा चुनाव लडऩे की प्रबल संभावना है। वहीं कांग्रेस अपने पूर्व प्रत्याशी को ही मौका दे सकती है।
2013 के वोट भाजपा : कैलाश विजयवर्गीय : 89,848
कांग्रेस : अंतरसिंह दरबार : 77,635 मजबूत दावेदार भाजपा – आकाश विजयवर्गीय: पिता के नहीं लडऩे पर कर सकते हैं दावेदारी, क्षेत्र में सक्रिय
– अशोक सोमानी: भाजपा जिलाध्यक्ष
कांग्रेस : अंतरसिंह दरबार : 77,635 मजबूत दावेदार भाजपा – आकाश विजयवर्गीय: पिता के नहीं लडऩे पर कर सकते हैं दावेदारी, क्षेत्र में सक्रिय
– अशोक सोमानी: भाजपा जिलाध्यक्ष
मजबूत दावेदार कांग्रेस – अंतरसिंह दरबार: पूर्व विधायक
– कैलाश पांडे: वरिष्ठ नेता
– योगेश यादव: पार्टी प्रवक्ता ये भी ठोंक रहे ताल – भाजपा: कविता पाटीदार, रामकिशोर शुक्ला, कंचनसिंह चौहान। रामकरण भाभर, डॉ. रीता उपमन्यु, राधेश्याम यादव।
– कांग्रेस: लक्ष्मण ढोली, सुंदर पटेल, मृणाल पंत।
– निर्दल: हठयोगी श्रीरामचंद्रदास त्यागी, रामभरत आश्रम के महंत।
– कैलाश पांडे: वरिष्ठ नेता
– योगेश यादव: पार्टी प्रवक्ता ये भी ठोंक रहे ताल – भाजपा: कविता पाटीदार, रामकिशोर शुक्ला, कंचनसिंह चौहान। रामकरण भाभर, डॉ. रीता उपमन्यु, राधेश्याम यादव।
– कांग्रेस: लक्ष्मण ढोली, सुंदर पटेल, मृणाल पंत।
– निर्दल: हठयोगी श्रीरामचंद्रदास त्यागी, रामभरत आश्रम के महंत।
राजनीतिक समीकरण्र दो बार के विधायक कैलाश विजयवर्गीय यह चुनाव लड़ेंगे या नहीं, इस पर ही सारे समीकरण टिके हैं। उनके अलावा किसे टिकट दिया जाए, भाजपा में यह सबसे बड़ी उलझन है।
चुनौतियां : पार्टी में इस बार आधा दर्जन से अधिक नेता टिकट की दावेदारी कर रहे हैं। अपनों को मनाना। विधायक की परफॉर्मेंस भूमिपूजन व लोकार्पण के कार्यक्रमों में ही विधायक क्षेत्र में नजर आते हैं। इसके अलावा यदा-कदा। हालांकि विधानसभा क्षेत्र में सडक़ें काफी बनीं, लेकिन कई समस्याएं कायम हैं।
– ग्रामीण क्षेत्रों में सडक़ों की स्थिति में काफी सुधार हुआ, लेकिन शहर में गंदगी, बिगड़ती यातायात व्यवस्था, कई कॉलोनियों में वादे कर कॉलोनाइजरों ने विकास कार्य अधूरे छोड़ दिए, जिससे बड़ी आबादी परेशान है। इन पर फोकस करने की जरूरत है।
विकास शेखावत, आम नागरिक देपालपुर : असंतुष्ट धड़े तय करते रहे जीत-हार देपालपुर में 2008 के परिसीमन के बाद हातोद, गांधी नगर और सुपर कॉरिडोर के आसपास का शहरी बेल्ट भी शामिल हो गया है। यहां धाकड़, कलौता और पाटीदार समाज का वर्चस्व है। जीत इन तीनों के समर्थन पर ही तय होती है। भाजपा वर्तमान विधायक को दोबारा टिकट दे सकती है, लेकिन दावेदारों के वजन को देखते हुए फिलहाल राह आसान नहीं है। वहीं कांग्रेस इस बार रामेश्वर पटेल बाबूजी को यहां से उम्मीदवार बनाकर वरिष्ठता के लाभ का दांव खेल सकती हैं।
2013 के वोट भाजपा : मनोज पटेल : 93,264
कांग्रेस : सत्यनारायण पटेल : 63,067 मजबूत दावेदार भाजपा – उमानारायण पटेल: आइपीसी बैंक के अध्यक्ष
– चिंटू वर्मा: महामंत्री ग्रामीण
– प्रेमनारायण पटेल: वरिष्ठ नेता
कांग्रेस : सत्यनारायण पटेल : 63,067 मजबूत दावेदार भाजपा – उमानारायण पटेल: आइपीसी बैंक के अध्यक्ष
– चिंटू वर्मा: महामंत्री ग्रामीण
– प्रेमनारायण पटेल: वरिष्ठ नेता
मजबूत दावेदार कांग्रेस – अंतरसिंह दरबार: पूर्व विधायक
– कैलाश पांडे: वरिष्ठ नेता
– योगेश यादव: पार्टी प्रवक्ता ये भी ठोंक रहे ताल – भाजपा: सहकारिता नेता उमरावसिंह मौर्य, भगवानसिंह चौहान।
– कांग्रेस: सत्यनारायण पटेल।
– आप: बहादुरसिंह मंडलोई।
– अन्य: दिलीपसिंह डाबी, वकील, स्वप्निल जैन, सामाजिक कार्यकर्ता।
– कैलाश पांडे: वरिष्ठ नेता
– योगेश यादव: पार्टी प्रवक्ता ये भी ठोंक रहे ताल – भाजपा: सहकारिता नेता उमरावसिंह मौर्य, भगवानसिंह चौहान।
– कांग्रेस: सत्यनारायण पटेल।
– आप: बहादुरसिंह मंडलोई।
– अन्य: दिलीपसिंह डाबी, वकील, स्वप्निल जैन, सामाजिक कार्यकर्ता।
राजनीतिक समीकरण देपालपुर क्षेत्र की राजनीति जातिगत मतदाताओं के आधार पर चलती है। इसके अलावा चुनाव लडऩे वाले उम्मीदवारों को असंतुष्ट गुट के भितरघात से निपटना पड़ता है। चुनौतियां : भाजपा के लिए जनता व कार्यकर्ताओं से सपंर्क न होना व कांग्रेस के लिए अपनों के विरोध को झेलना।
विधायक की परफॉर्मेंस देपालपुर क्षेत्र में सुपर कॉरिडोर के आसपास विकसित हो रहे शहरी क्षेत्र की कॉलोनियों में मूलभूत सुविधाओं का टोटा है। सबसे बड़ी कमी जनता की जरूरत के समय विधायक की गैरमौजूदगी रही।
– देपालपुर विधानसभा क्षेत्र में विकास शुरू से ही समस्या रहा है। यहां इंदौर-गौतमपुरा रोड ही बनी। इसके अलावा सभी सडक़ें जर्जर अवस्था में हैं। कनेक्टिविटी न होने से लोगों को दिक्कत होती है। चुनावी वादे सिर्फ कागजों में ही दिखे।
रघुनाथसिंह मौर्य, एडवोकेट