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मंडी व्यापारियों को देंगे मोबाइल वॉलेट, ये होंगे फायदे

locationइंदौरPublished: Mar 24, 2019 03:23:03 pm

मंडी बोर्ड की बैठक : ई-मंडी के विरोध में व्यापारी बोले, नहीं चलने देंगे मंडी, प्रदेश में किसी भी मंडी से कर सकेंगे खरीदीव्यापारियों से सुझाव के लिए बैठक

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मंडी व्यापारियों को देंगे मोबाइल वॉलेट, ये होंगे फायदे

इंदौर. आइआइएम के प्रोफेसर मंडियों को और बेहतर करने का रोडमैप तैयार कर रहे हैं। इस संबंध में शनिवार को व्यापारियों से सुझाव लिए गए। इस दौरान ई-मंडी को लेकर एक व्यापारी ने यहां तक कह दिया, हम इतने ताकतवर हैं कि मंडी तक नहीं चलने देंगे।
व्यापारियों ने एमडी फैज अहमद किदवाई से कहा, जितनी ताकत आप टैक्स चोरी रोकने में लगाते हैं, उसके बजाय अन्य राज्यों का मॉडल प्रदेश में लागू करें। अन्य राज्य से आने वाली दालों को टैक्स में छूट दी जाना चाहिए। किदवाई ने व्यापारियों को बताया, बहुत जल्द एक मोबाइल वॉलेट लागू किया जा रहा है, जिसके बाद व्यापारी प्रदेश की किसी भी मंडी से ट्रेडिंग कर सकेंगे और सिक्योरिटी राशि भी नहीं देना होगी। उस वॉलेट में आप एडवांस राशि डाल देंगे।
दरअसल, मंडियों को प्रदेश की बेहतर मंडी बनाने के लिए मंडी बोर्ड द्वारा आइआइएम के छात्रों और प्रोफेसर के माध्यम से स्टडी कराई जा रही है। इसके बाद उसे शासन को सौंपा जाएगा। छात्रों और प्रोफेसर द्वारा संभाग की मंडियों के हम्मालों, तुलावटियों व किसानों से चर्चा कर व्यवस्थाओं को समझा गया। अब व्यापारियों से सुझाव के लिए शनिवार को किला मैदान स्थित मंडी बोर्ड के ऑफिस में बैठक की गई। इसमें मंडी बोर्ड के अपर संचालक केदारसिंह, भारसाधक अधिकारी एवं अपर कलेक्टर कैलाश वानखेडे़, मंडी सचिव व उद्योग महासंघ के अध्यक्ष सुरेश अग्रवाल, युवा व्यापारी लवेश शाह, मंडी व्यापारी प्रतिनिधि मनोज काला, प्रेम खंडेलवाल सहित अन्य व्यापारी व उद्यमी मौजूद थे।
ग्रेडिंग लैब जरूरी : व्यापारियों ने कहा, ग्रेडिंग लैब होना चाहिए। इसके लिए प्राइवेट एजेंसी की मदद ली जा सकती है। माश्चर के हिसाब से भाव तय होते हैं। किसान अच्छी क्वालिटी की उपज लेकर आएंगे तो उन्हें बेहतर मूल्य मिलेगा।
लीज प्रक्रिया ही नहीं

व्यापारियों ने कहा, मंडी बोर्ड लीज प्रक्रिया निर्धारित करे। लीज प्रक्रिया है ही नहीं। मंडी बोर्ड ने लीज राशि जमा करने वाले व्यापारियों का स्वागत करना चाहिए। मंडी समिति में एक के बजाय पांच व्यापारी प्रतिनिधि होना चाहिए।
इनकम टैक्स की तर्ज पर रिबेट

आइआइएम के प्रोफेसर ओंकार ने पूछा, क्या इनकम टैक्स की तर्ज पर मंडी टैक्स में छूट रिबेट मिलना चाहिए तो व्यापारियों ने हां कर दी। जब उन्होंने कहा, इस पर इनकम टैक्स की तरह मंडी को व्यापारी की पूरी जानकारी देना होगी तो साफ इनकार कर दिया।
ट्रैफिक से घटी छावनी अनाज मंडी में आवक

व्यापारियों ने कहा, शहर के बीच में होने से छावनी अनाज मंडी में आवक कम हो गई। किसान ट्रैफिक में उलझना नहीं चाहते। वे देवास और अन्य मंडियों का रुख करने लगे हैं। प्रशासन द्वारा वाहनों के प्रवेश पर सख्ती से भी दिक्कत हो रही है। पूर्व के समय में भी बदलाव कर दिया गया है। व्यापारियों ने कहा, 2013 में सभी विधायकों व जनप्रतिनिधियों ने लिखित में दिया कि छावनी अनाज मंडी को शहर से बाहर शिफ्ट कर दिया जाए। मंडी के लिए कम से कम २०० एकड़ जमीन होना चाहिए।
दाल में दें छूट

व्यापारियों ने कहा, प्रदेश के दाल व्यापारी देश के व्यापारियों से टक्कर ले सकते हैं, इसके लिए प्रदेश में बाहर से आने वाली दालों पर मंडी टैक्स में अन्य राज्य की तर्ज पर पांच साल की छूट दी जाए। हमारे व्यापारी अन्य राज्यों में जाकर दाल मिल चला रहे हैं। यहां छूट नहीं मिल रही है। जब जीएसटी लागू हो गया है तो फिर मंडी बोर्ड चौकियों पर क्यों ताकत लगा रहा है। सुविधाएं बढ़ाए जाने पर जोर दें। मंडी टैक्स कम एक या आधा प्रतिशत होना चाहिए। गोदाम तक माल पहुंचने के बाद टैक्स नहीं लिया जाए।
पानी-शौचालय पर नहीं हुआ खर्च

बैठक के शुरू होने से पहले एमडी किदवाई अपर कलेक्टर वानखेडे़ के साथ बंद कमरे में बैठे थे। इस दौरान उन्हें बताया गया, तीनों मंडी में पानी के कनेक्शन नहीं है। इस पर उन्होंने मंडी सचिव सतीश पटेल को फटकार लगाते हुए कहा, जब 2 से 5 करोड़ के शेड बना सकते हो तो पानी, शौचालय पर राशि क्यों नहीं खर्च कर सकते। मंडी में सीसीटीवी कैमरे लगाने की भी जानकारी ली। बताया गया, प्रवेश और निकासी गेट पर लगाए जा रहे हैं। एमडी ने कहा, रिकॉर्डिंग की व्यवस्था हो, ताकि मंडी में टैक्स चोरी और अवैध वसूली पर रोक लगाई जा सके।
पीपीपी मॉडल

छावनी अनाज मंडी शिफ्ट करने को लेकर एमडी ने व्यापारियों और अधिकारियों से चर्चा की। उन्होंने कहा, पीपीपी मॉडल पर मंडी शहर से बाहर विकसित की जाए। छावनी अनाज मंडी की जमीन की कीमत भी जानी जाए, ताकि हाउसिंग बोर्ड या अन्य एजेंसी को यह जमीन देकर बदले में दो सौ एकड़ जमीन लेकर डेवलप कराया जा सके।

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