पुलिस की तमाम व्यवस्थाओं के बाद भी तेज गति की कार्रवाई काफी कम है। वर्ष 2021 के आंकड़ों पर नजर डालें तो शराब पीकर गाड़ी चलाने पर किसी महीने में 3 तो किसी महीने में सिर्फ 9 चालान बने । कोरोना की दूसरी लहर के दौरान मई, जून, जुलाई में तो किसी तरह की कार्रवाई भी नहीं हुई। अगस्त में 82, सितंबर में 90 व 20 अक्टूबर तक 60 चालान बने हैं। डीएसपी ट्रैफिक उमाकांत चौधरी का कहना है, हमारे पास जितने संसाधन हैं उस हिसाब से कार्रवाई होती है। हर जगह चेकिंग संभव नहीं है।
केस 1
अनियंत्रित कार डिवाइडर में घुसी, छात्र की मौत सितंबर में सुपर कॉरिडोर पर भीषण दुर्घटना हो चुकी है। तेज रफ्तार कार डिवाइडर में घुसने के बाद कई बार पलटी। हादसे में कार सवार हरदा के मूल निवासी छात्र की मौत हो गई, जबकि तीन घायल हो गए। सभी छात्र यहां कॉलेज में प्रवेश के लिए आए थे।
केस-2
100 किमी थी रफ्तार, एयरबेग खुला तो बची जान
सुपर कॉरिडोर पर जून में भी तेज गति के कारण भीषण हादसा हुआ था। चार दोस्तों ने कार को 100 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलाया और एक्सीडेंट का शिकार हो गए। गनीमत थी कि लग्जरी कार के एयरबैग खुल गए और युवकों को मामूली चोट आई। कई पलटी खाने से कारण के परखच्चे उड़ गए थे। कुछ समय बाद उद्योगपति के बेटे की लग्जरी कार के भी यही • हाल हुए। वह भी एयरबेग के कारण बच गया।
ये हैं ब्लैक स्पॉट
– लवकुश चौराहा
-एबी रोड देवास नाका
– खंडवा रोड भेरूघाट
-किशनगंज पुलिया
– सुपर कॉरिडोर