सांवेर से ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने कट्टर समर्थक तुलसीराम सिलावट को चुनाव लड़वा रहे हैं। भाजपा हर हाल में चुनाव जीतना चाहती है, लेकिन मजबूरी में उसे मौजूदा विधायक को टिकट देना पड़ा। सच्चाई ये है कि सर्वे रिपोर्ट में विधायक की स्थिति ठीक नहीं बताई गई। ये बात मुख्यमंत्री ने विधायकों से वन टू वन के दौरान उन्हें बोल भी दी थी।
पूर्व मंत्री प्रकाश सोनकर के जाने के बाद सावन ने उनसे जुड़ी हुई पूरी टीम को जोड़ रखा है और जमीनी तौर पर मजबूत होने के दम पर वे टिकट मांग रहे थे। इधर, चार पांच माह पहले प्रकाश सोनकर के बेटे विजय कमल भी सक्रिय हो गए। पिता के संबंधों के आधार पर वे दिल्ली और भोपाल के नेताओं से संपर्क में जुट गए। जगह-जगह वे सावन की काट करने में जुटे हुए था।
इसका असर ये हुआ कि बड़े नेताओं को परिवार में खटास नजर आने लगी। ये बातें सावन के लिए घातक हो गई। पार्टी के आला नेताओं का मानना था कि सावन को टिकट दिया जाता तो तुलसी से आमना-सामना तो होगा, लेकिन मौजूदा विधायक व विजय कमल की भूमिका संदिग्ध रहेगी। इससे अच्छा है कि विधायक को ही टिकट दे दिया जाए।
आखिरी वक्त में समर्थन
विजय कमल को ये समझ में आ गया था कि उनका टिकट नहीं हो रहा, इसके चलते उन्होंने बड़े नेताओं को ये संदेश दे दिया कि मुझे नहीं तो परिवार से किसी को नहीं दिया जाए। तर्क ये था कि सावन को टिकट हो जाता तो उनके भविष्य में सारे दरवाजे बंद हो जाते।
विजय कमल को ये समझ में आ गया था कि उनका टिकट नहीं हो रहा, इसके चलते उन्होंने बड़े नेताओं को ये संदेश दे दिया कि मुझे नहीं तो परिवार से किसी को नहीं दिया जाए। तर्क ये था कि सावन को टिकट हो जाता तो उनके भविष्य में सारे दरवाजे बंद हो जाते।
मौजूदा विधायक का टिकट काटकर भविष्य में दावेदारी की जा सकती है। बताया तो ये भी जा रहा है कि इसके लिए राजेश के नाम का समर्थन भी कर दिया था। इधर, भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय नहीं चाहते थे कि सावन का टिकट हो।