भाजपा अब तक इंदौर की नौ विधानसभाओं के टिकट घोषित नहीं कर पाई है। राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय पुत्र मोह में उलझ गए हैं। वे चाहते हैं कि दो नंबर विधानसभा से बेटा आकाश चुनाव लड़े, जिसकी वजह से विधायक रमेश मेंदोला को विस्थापित होना पड़ रहा था। सारी कहानी विजयवर्गीय के इर्द-गिर्द ही घूम रही थी, लेकिन लोकसभा स्पीकर महाजन के आते ही दांव उल्टे हो गए।
सबसे ज्यादा असर तीन और राऊ विधानसभा की राजनीति पर हुआ। राऊ में पहले विजयवर्गीय चाहते थे कि गौरव रणदिवे चुनाव लड़े पर खुलासा होने पर स्थानीय नेताओं ने मोर्चा खोल दिया। बाद में मेंदोला के नाम पर विचार हुआ, क्योंकि उन्हें मालूम था कि तीन में ताई की विशेष रुचि रहती है और वह ऐसा होने नहीं देंगीं। ऊपर बिसात जम चुकी थी, लेकिन ताई के इंदौर आते ही वरिष्ठ नेता मधु वर्मा एयरपोर्ट पर उनसे मिल लिए।
दोनों के बीच में काफी देर बात हुई। वर्मा ने सारा घटनाक्रम उन्हें बताया। असर ये हुआ कि राऊ को लेकर भी ताई ने केंद्रीय मंत्री नरेंद्रसिंह तोमर व प्रदेश प्रभारी विनय सहस्त्रबुद्धे को साफ कर दिया कि मधु पुराने नेता हैं, कब तक कार्यकर्ताओं के साथ अन्याय होगा। उन्होंने जब मेंदोला का विषय रखा तो साफ कर दिया कि उनके पास दो सीटें हैं। जिसे जहां से लडऩा है, उसे वहां से लड़ा दो। ताई के रुख से वर्मा की उम्मीद फिर जाग गई है।
स्थानीय में है सर्वमान्य नाम
राऊ भाजपा में सालभर से त्रिवेणी योग बन रहा है। क्षेत्र के मजबूत नेता पूर्व विधायक जीतू जिराती, मधु वर्मा और रवि रावलिया ने आपस में समझौता कर लिया था कि जिसे टिकट मिलेगा सब मिलकर उसे जीताएंगे। हर आयोजन में तीनों नेता साथ में घूम रहे थे। इसका असर ये हुआ कि तीनों से जुड़े नेता व कार्यकर्ता भी एक जाजम पर आ गए। वहीं, वर्मा को सभी का समर्थन है और उनकी शहर क्षेत्र में पकड़ भी खासी मजबूत है।