कल सुबह आकाश ने क्षेत्र के दोनों मंडल की बैठक बुलाई। लगभग पूरी विधानसभा से नेता व कार्यकर्ता पहुंचे। उनमें से कई का राजनीतिक अनुभव ही आकाश की उम्र से ज्यादा है। कार्यक्रमों की रणनीति बनाई जा रही थी, इसी बीच आकाश ने माइक हाथ में लेकर बोलना शुरू कर दिया। कहना था कि मेरी ये प्लानिंग है कि अब हमें वार्ड स्तर पर बैठक रखना चाहिए, जिसमें बूथ समिति के सदस्यों से लेकर वार्ड संयोजक-पालक से लेकर वहां रहने वालों को बुलाया जाए। हमको ऐसा करना है, क्योंकि अब वार्ड स्तर के कार्यकर्ताओं के बीच में हमें जाना है। उनके माध्यम से ही हम पूरा चुनाव लड़ेंगे। जहां पर कोई कमी रहेगी, वहां कार्यकर्ता बाहर से बुलाए व काम पर लगाए जाएंगे।
समय को लेकर खड़ी हुई उलझन आज वार्डों में होने वाली मैराथन बैठक को लेकर काफी मशक्कत हुई। कार्यकर्ताओं का कहना था कि बैठक शाम को रखी जाए, क्योंकि तीन दिन की छुट्टी के बाद आज वर्र्किंग-डे है। इधर, आकाश ने साफ कर दिया कि बैठकों का सिलसिला सुबह से शाम तक चलेगा ताकि आराम से सबसे बात हो सके। इधर, कार्यकर्ताओं का जवाब था कि जब कार्यकर्ता नहीं होंगे तो आराम से बात किससे करेंगे।
पहले पिता की सुनी, अब बेटे की सुनो पूरे भाषण में आकाश की भाषा आदेशात्मक थी, जो नेता व वरिष्ठ कार्यकर्ताओं को चुभ गई। बैठक खत्म होने के बाद ये विषय खासा चर्चा में रहा। उनका कहना था कि पहले पिता की सुनते थे, अब बेटे की सुनो। पार्टी में फैसले तो हमेशा सामूहिक होते हैं। आदेश जारी कर दिया कि आपको ऐसा करना है, ये ठीक नहीं है।