भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को तो इस बार महू सीट से खौफ सता रहा था। इसके चलते उन्होंने चुनाव लडऩे से इनकार कर दिया। कैलाश ने ऐसी गुगली फेंकी ऐन वक्त पर विधायक ठाकुर को वहां भेज दिया और तीन नंबर विधानसभा से अपने बेटे आकाश को टिकट दिलवा दिया। ठाकुर क्षेत्र से पूरी तरह अनजान थीं और उनका टिकट होने के बाद कांग्रेस नेता इस सीट को तो जीता हुआ मानकर चलने लगे। कांग्रेस प्रत्याशी अतंरसिंह दरबार भी उन्हें बहुत ही हलके में ले रहे थे, लेकिन परिणाम उन्हें भारी पड़ गया। ठाकुर ने छह हजार से अधिक मतों से सीट जीत ली।
अपराजित योद्धा बनीं ठाकुर इसके साथ ठाकुर भाजपा की अजेय नेताओं की सुची में शामिल हो गईं। ठाकुर ने भी तीन अलग-अलग क्षेत्रों से चुनाव जीतकर खुद को अपाराजित योद्धा साबित कर दिया। सबसे पहले एक नंबर में रामलाल यादव जैसे काठी के कांग्रेस नेता को 27 हजार मतों से शिकस्त दी थी। दूसरे चुनाव में तीन नंबर से १५ साल के विधायक अश्विन जोशी को शिकस्त दी। इस फेहरिस्त में तीसरा नाम अब महू के अंतरसिंह दरबार का जुड़ गया, जो कांग्रेस बड़े नेता माने जाते हैं।
महिलाओं के बंपर वोट महू विधानसभा से पहली बार कोई महिला चुनाव लड़ रही थी। यही वजह थी कि ठाकुर महिला मतदाताओं को पसंद आईं और उनकी प्राथमिकता में आ गईं। गले में कटार टांगने की वजह से कटार वाली बाई का नाम भी चल निकला। इसके साथ में राजपूत समाज के वोट बैंक में भी ठाकुर ने जबरजस्त पकड़ की। पिगडम्बर जैसे राजपूत बाहुल्य क्षेत्र को ही अपना बेस केम्प बना लिया। अब तक कई ऐसे राजपूत गांव थे, जहां विजयवर्गीय की एंट्री नहीं थी, वहां भी ठाकुर को जमकर समर्थन मिला।