पदोन्नति में आरक्षण अहम् मुद्दा
सरकार ने फैसला किया है कि नौकरी के साथ पदोन्नति में आरक्षण दिया जाएगा। इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है, जिस पर बहस चल रही है। सरकार के इस फैसले के चलते सिपाही से लेकर टीआई तक के प्रमोशन रुके हुए हैं।
इन मांगों को लेकर है नाराजगी
ठ्ठ वर्ष 2006 से 2400 ग्रेड पे कांस्टेबल को, 2800 ग्रेड पे हेड कांस्टेबल को, 3200 ग्रेड पे एएसआई को, 4200 ग्रेड पे टीआई को अन्य राज्यों की तरह और केंद्र सरकार की तरह मिले। पौष्टिक आहार भत्ता 650 से बढ़ाकर केंद्र की तरह राशन मनी 3050 रुपपए प्रतिमाह प्रदान की जाए। स्थाई यात्रा भत्ता कांस्टेबल का 150, हवलदार का 175 के बजाय सिपाही से टीआई तक को परिवहन भत्ता 4000 किया जाए। पिछले चालीस सालों से 18 रुपए प्रतिमाह विशेष पुलिस भत्ता नहीं बढ़ाया गया है, उसके स्थान पर हाई ड्यूटी भत्ता बेसिक पे का 12 प्रतिशत दिया जाए। वेतन के साथ मिलने वाला वर्दी धुलाई भत्ता 60 रुपए वर्ष 2002 से नहीं बढ़ाया गया है, इसे बढ़ाकर 1200 रुपए किया जाए।
विशेष सशस्त्र बल के लिए पृथक से भत्ता दिया जाए।
– कांस्टेबल से निरीक्षक तक को 6 घंटे से ज्यादा काम के लिए ओवर टाइम अन्य राज्यों की तरह प्रदान किया जाए।
– साल में दो बार प्रदान किए जाने वाले हाफ वेतन को पूरा प्रदाय किया जाए।
– गृह जिले में तैनाती दी जाए।
– हर विवेचना के लिए स्टेशनरी भत्ता दिया जाए।
– प्रतिवर्ष खाकी वर्दी और अन्य सामग्री के लिए 10000 रुपए प्रदान किए जाए।
बताया गया है कि पुलिस विभाग की तमाम मांगें विगत 40 सालों से लंबित हैं। स्पष्ट है कि सरकार ध्यान नहीं दे रही है। आम पुलिस कर्मियों का मानना है कि उत्तर-प्रदेश व बिहार की तरह मध्यप्रदेश में भी पुलिस यूनियन का गठन किया जाए।