जमीन के विवाद में कांग्रेस नेता की जिम में गोली मारकर की गई थी हत्या
हत्या के षड्यंत्र के आरोपी मनोहर वर्मा के खिलाफ नहीं मिले सबूत
एक आरोपी की हो चुकी है हत्या
कांग्रेस नेता का दिनदहाड़े कत्ल, दो हत्यारों को कोर्ट ने सुनाई उम्रकैद
इंदौर. कांग्रेस नेता संतोष दुबे के 10 साल पहले हुए हत्याकांड में बुधवार को फैसला सुनाया है। दुबे की रणजीत हनुमान मंदिर के पास मनी सेंटर में बॉडी टेम्पल जिम में दिन दहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। हत्या करने वाले आरोपी पिंटू ठाकुर और अल्पेश चौहान को दोषी पाते हुए कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। एयरपोर्ट रोड पर एक बड़ी जमीन के विवाद में संतोष की हत्या हुई थी। इस हत्याकांड में शामिल एक आरोपी जीतू यादव की भी बाद में गोली मारकर कर हत्या कर दी गई थी। दुबे की हत्या का षडय़ंत्र करने वाले एक अन्य आरोपी मनोहर वर्मा के खिलाफ अभियोजन पक्ष पर्याप्त सबूत पेश नहीं कर सका और कोर्ट ने उसे बरी कर दिया।
court appeals against life sentence for rape and murder” src=”https://new-img.patrika.com/upload/2019/12/03/08_5462556-m.jpeg”> 28 मई 2009 को हुए हत्याकांड के आरोपी पिंटू ठाकुर और अल्पेश चौहान को 2013 में हाइकोर्ट से जमानत मिल गई थी और वे जेल से बाहर आ गए थे। बुधवार को जैसे ही उन्हें सजा सुनाई गई दोनों के चेहरे की मुरझा गए। कोर्ट ने उन्हें भादवि की धारा 302 और 34 के तहत दोषी पाया है। आम्र्स एक्ट में भी 3-3 वर्ष की सजा सुनाई गई है। हालाकि दोनों सजाएं साथ-साथ चलेंगी। अपर सत्र न्यायाधीश शाहबुद्दी हाशमी की कोर्ट में केस में 27 गवाहों के बयान और प्रतिपरीक्षण के बाद फैसला सुनाया।
चश्मदीद के गवाहों ने दिलाई सजा जमीन के विवाद को लेकर संतोष दुबे और आरोपियों के बीच घटना के कुछ दिन पहले से ही टकराव चल रहा था। पुलिस कहानी के मुताबिक 28 मई 2009 को दुबे रोज की तरह जिम गया था। करीब 10 बजे पिंटू ठाकुर, अल्पेश चौहान और जीतू यादव मोटर साइकल पर आए और आते ही फायरिंग शुरू कर भाग गए। दुबे को गंभीर हालत में अस्पताल ले जाया गया जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया था। घटना के वक्त संतोष के भाई प्रमोद दुबे भी वही था। एडवोकेट गोपाल राही ने बताया घटना के बाद पुलिस ने जीतू यादव सहित तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया था। मार्च 2012 को आरोपी मनोहर वर्मा को हाईकोर्ट से जमानत मिल गई थी। अन्य आरोपियों को भी 2013 में जमानत मिल गई थी और तभी से वे बाहर थे। शासन की ओर से एडवोकेट अब्दुल सलीम ने पैरवी की। दोनों पर अलग-अलग धाराओं में 2500-2500 रुपए का अर्थदंड भी लगाया गया।