scriptnavratri dates in september 2017- नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रूप | navratri dates in september 2017 | Patrika News

navratri dates in september 2017- नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रूप

locationइंदौरPublished: Sep 19, 2017 04:55:35 pm

आईये जानते हैं नौ देवियों के नाम एवं मंत्र। इस तरह से पूजन करेंगे मां दुर्गा प्रसन्न होकर को भक्त को आशीर्वाद देती हैं।

navratri 2017

navratri dates in september 2017

इंदौर. पुराणों के अनुसार हिन्दू धर्म में माता दुर्गा, मां पार्वती का ही एक रूप माना जाता है। मां पार्वती के ही नौ रूप हैं जिनका नवरात्रि में पूजन होता है। मां के इन रूपों का अलग ही महत्व है। एक श्लोक मेेंं पावर्ती माता के नौ रूपों का वर्णन किया गया है, आईये जानते हैं नौ देवियों के नाम एवं मंत्र। इस तरह से पूजन करेंगे मां दुर्गा प्रसन्न होकर को भक्त को आशीर्वाद देती हैं।
प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयम् ब्रह्मचारिणी।
तृतीयं चंद्रघण्टेति कुष्मांडेति चतुर्थकं॥
पंचमं स्कंदमातेति, षष्टम कात्यायनीति च।
सप्तमं कालरात्रीति, महागौरीति चाष्टमं॥
नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गा प्रकीर्तिता:॥

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आइए जानते हैं दिन और तारीख के हिसाब मां के कौनसे रूप का पूजन होगा?
21 सितंबर को प्रथम दिन शैलपुत्री की पूजा होगी।
22 सितंबर को दूसरे दिन माता ब्रह्मचारिणी की पूजा होगी।
23 सितंबर को तीसरे दिन माता चन्द्रघंटा की पूजा होगी।
24 सितंबर को चौथे दिन माता कुष्मांडां की पूजा होगी।
25 सितंबर को पांचवें दिन माता स्कंदमाता की पूजा होगी।
26 सितंबर को छठे दिन माता कात्यायनी की पूजा होगी।
27 सितंबर को सातवें दिन माता कालरात्रि की पूजा होगी।
28 सितंबर को आठवें दिन माता महागौरी की पूजा होगी।
29 सितंबर को नौवें दिन माता सिद्धिदात्रि की पूजा होगी।
दुर्गा मां मन्त्र –

इन मन्त्रों को जप कर मां को प्रसन्न करें

– ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे नम:।।
– दुं दुर्गायै नम:।।
– सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके । शरन्ये त्रयम्बिके गौरी नारायणी नमोस्तुते ।।
-शरणागत दीनार्तपरित्राण परायणे। सर्वस्यातिहरे देवि नारायण नमोस्तुते।।
– सर्वस्वरूपे सर्वेशे सर्वेशक्तिसमन्विते। भयेभ्यस्त्राहि नो देवि दुर्गे देवि नमोऽस्तु ते ।।
– रोगनशेषानपहंसि तुष्टा। रुष्टा तु कामान् सकलानभीष्टान्।।
त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां। त्वमाश्रिता हृयश्रयतां प्रयान्ति।।
– सर्वाबाधा प्रशमनं त्रैलोक्यस्याखिलेश्वरि। एवमेव त्वया कार्यमस्मद्दैरिविनाशनम्।।
सर्वाबाधा विर्निर्मुक्तो धनधान्यसुतान्वित:। मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशय:।।
– जयन्ती मङ्गला काली भद्रकाली कपालिनी । दुर्गा शिवा क्षमा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु ते ।।
– देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि देवि परं सुखम् ।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥
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