कैसे करें कलश स्थापना
– मिट्टी का पात्र यानी की घड़ा (घट)
– जौ
-शुद्ध मिट्टी
– शुद्ध जल उसमें सोना, चांदी, तांबा, पीतल, या मिट्टी का कलश
– लाल धागा (मौली)
– साबुत सुपारी
– सिक्के
– अशोक या आम के पत्ते
– साबुत चावल
– एक नारियल
– लाल कपड़ा (चुनरी)
– माला
– मिट्टी का पात्र यानी की घड़ा (घट)
– जौ
-शुद्ध मिट्टी
– शुद्ध जल उसमें सोना, चांदी, तांबा, पीतल, या मिट्टी का कलश
– लाल धागा (मौली)
– साबुत सुपारी
– सिक्के
– अशोक या आम के पत्ते
– साबुत चावल
– एक नारियल
– लाल कपड़ा (चुनरी)
– माला
विधि- पुराणों के अनुसार कलश स्थापना के लिए पूजा वाले स्थान को साफ करके लकड़ी का पटीया रख दें। उस पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं। कपड़े पर थोड़ा चावल रखें। चावल रखते हुए भगवान गणेश जी को याद करें। एक मिट्टी के पात्र में जौ बोएं। इस पात्र पर जल से भरा हुआ है पात्र रखें। कलश पर रोली ये स्वास्तिक या ऊं बनाएं।
कलश के मुखौने पर मौली बांध दें। कलश में सुपारी, सिक्का डालें फिर आम और अशोक के पत्ते भी डालें। इसके बाद कलश को ऊपर से ढंक दें। ढकते समय सभी देवताओं के नाम लें। इसके बाद घी का दीप जलाएं। चाहें तो कलश पर फूल और मिठाइयां भी रखें।
कलश के मुखौने पर मौली बांध दें। कलश में सुपारी, सिक्का डालें फिर आम और अशोक के पत्ते भी डालें। इसके बाद कलश को ऊपर से ढंक दें। ढकते समय सभी देवताओं के नाम लें। इसके बाद घी का दीप जलाएं। चाहें तो कलश पर फूल और मिठाइयां भी रखें।
कलश स्थापना का मुहुर्त
नवरात्रि का हस्त नक्षत्र में प्रारम्भ होने से घट स्थापना का विशेष महत्व होता है। इस मुहूर्त में घट स्थापना से मां की विशेष कृपा मिलती है और परेशानियों से मुक्ति मिल जाएगी। शारदीय नवरात्रि का आरंभ 21 सितंबर से 29 सितंबर तक रहेगी। घटस्थापना का मुहुर्त 21 सितंबर को सुबह 06.11 से 8.08 के बीच शुभ मुहुर्त है।
नवरात्रि का हस्त नक्षत्र में प्रारम्भ होने से घट स्थापना का विशेष महत्व होता है। इस मुहूर्त में घट स्थापना से मां की विशेष कृपा मिलती है और परेशानियों से मुक्ति मिल जाएगी। शारदीय नवरात्रि का आरंभ 21 सितंबर से 29 सितंबर तक रहेगी। घटस्थापना का मुहुर्त 21 सितंबर को सुबह 06.11 से 8.08 के बीच शुभ मुहुर्त है।