सुदामा नगर निवासी राहुल कुमरावत ने बताया कि उनकी पत्नी अंजनी का गर्भ से ही 9 महीने तक पीसी सेठी हॉस्पिटल में उपचार चला। 7 जुलाई को डिलीवरी की संभावनाओं को देखते हुए सोनोग्राफी रिपोर्ट देखी तो 24 से 36 घंटे का इंतजार किए जाने का कहा गया। 9 जुलाई को पुन: दर्द आया तो अस्पताल लेकर पहुंचे। यहां पर मौजूद ड्यूटी पर मौजूद स्वास्थ्य कर्मियों ने भर्ती करने से इंकार कर दिया और प्रायवेट अस्पताल जाने की सलाह दी। इस दौरान गर्भवती दर्द से तड़प रही। मेरी पत्नी से 8 से 10 हजार रुपए महिला स्वास्थ्य कर्मियों ने मांग की।
जच्चा-बच्चा को खतरा बताकर किया रेफर उन्होंने शिकायत में आरोप लगाया कि ड्यूटी डॉक्टर एवं स्वास्थ्य कर्मियों को मेरी पत्नी का प्रसव कराने के लिए मांगे रुपए नहीं देने पर डॉक्टर ने बताया गया कि मेरी गर्भवती पत्नी को पानी की कमी है, बच्चे की धड़कन कम है, जिसके कारण बच्चे की गर्भ में मौत होने का डर है। इस तरह जच्चा- बच्चा दोनों को खतरा बताकर हाई रिस्क का ड्रामा करने लगे। ड्यूटी डॉक्टर डॉ. नीलम ने प्रसव कराने के लिए साफ मना कर दिया। डॉ. नीलम, डॉ रूपाली जोशी ने हमें रात्रि में सेठी अस्पताल से अन्य अस्पताल में रेफर कर दिया। हमें मजबूरी में गर्भवती पत्नी को प्रसव कराने के लिए अन्य अस्पताल ले जाना पड़ा। रेफर के 30 मिनट के बाद ही मेरी पत्नी को नॉर्मल प्रसव हुआ। जिसमें जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ है।
कार्रवाई की मांग शिकायत में कुमरावत ने न्याय की गुहार लगाते हुए ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों पर कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने आरोप लगाया कि अस्पताल में गर्भवती महिलाओं से रुपए की मांग की जाती है और उपचार के लिए अनावश्यक दवाएं बाहर से बुलाई जाती हैं।
जांच की जा रही है शिकायत मिली है। शिकायत में जिन डॉक्टरों पर आरोप लगाए जा रहे हैं वे उस समय ड्यूटी पर मौजूद नहीं थे। हम मामले की जांच कर रहे हैं।
डॉ. निखिल ओझा प्रभारी, पीसी सेठी हॉस्पिटल